बाजार के जोखिमों को कम करने में मदद करता है निवेश

फिक्स डिपॉजिट में अपने सभी रुपयों को इनवेसट करने की जगह आप 1,2,3,5 और 7 साल के टर्म के लिए प्रत्‍येक 10 लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 18, 2021, 05:10 IST
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कोई भी व्यक्ति एलआईसी न्यू जीवन आनंद पॉलिसी खरीद सकता है. इस पॉलिसी के तहत न्यूनतम मूल बीमा राशि एक लाख रुपये है. सम एश्योर्ड की कोई अधिकतम सीमा नहीं है

कोई भी व्यक्ति एलआईसी न्यू जीवन आनंद पॉलिसी खरीद सकता है. इस पॉलिसी के तहत न्यूनतम मूल बीमा राशि एक लाख रुपये है. सम एश्योर्ड की कोई अधिकतम सीमा नहीं है

फिक्स इनकम (Fixed Income) बाजार के जोखिमों को कम करके पोर्टफोलियो में स्थिरता लाने में मदद करता है। अगर समझदारी से चला जाए तो एक निश्चित आय (Fixed Income) निवेश आने वाले समय में आपकी काफी मदद कर सकता है. इसी के साथ ये आपके मीडियम और लांग टर्म के फाइनेंशियल गोल को पूरा करने में मदद कर सकता है.
फिक्स्ड इनकम (Fixed Income) का इनवेसमेंट एक सीढ़ी की तरह है. ये समझदारी से अपनी आय को निवेश करने का एक तरीका है. इससे आप अपने सारे रुपयों को एक टर्म के लिए इनवेस्‍ट करने की बजाय उस पैसों को दो पार्टस में अलग-अलग टर्म के लिए इनवेस्‍ट करते हैं. इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. मान लीजिए की आपने 40 लाख रुपये इनवेसट करने की योजना बनाई है. अब पांच साल के फिक्स डिपॉजिट में अपने सभी रुपयों को इनवेसट करने की जगह आप 1,2,3,5 और 7 साल के टर्म के लिए प्रत्‍येक 10 लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं. आप एनसीडी या नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में भी निवेश कर सकते हैं.
कॉर्पोरेट ट्रेनर जॉयदीप सेन के मुताबिक लैडरिंग का मतलब है अपने इनवेसमेंट के टैनयोर को अपनी निश्‍चित आय के साथ मिलाना. अगर आप बॉन्ड फंड्स में इनवेस्‍ट कर सकते हैं. उदाहरण के लिए आप शार्ट टर्म के फंड (6-12 महीने की अवधि), छोटी अवधि के फंड (तीन साल से कम की अवधि) और मीडियम टर्म के फंड (4-7 साल की अवधि) में अलग-अलग इनवेस्‍ट कर सकते हैं.

जरूरतों को पूरा करने में मिलती है मदद
जब आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्‍यान में रखकर निवेश कर रहे होते हैं, तो आप अपनी जरूरतों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं. भले ही आपके पास इमरजेंसी फंड रखा हो. अगर आपके पास अलग-अलग समय पर मैचयोर होने वाले बांड या फिक्स डिपॉजिट हैं तो आप अपने रुपयों को अच्‍छे से संभाल सकते हैं. इसके अलावा हर बार जब आप फिक्स्ड डिपॉजिट या बॉन्ड की मैच्योरिटी की रकम हासिल करते हैं, तो उसी तरह की शर्तों के लिए दोबारा से पेमेंट की जा सकती है, अगर उस वक्त कैश की जरूरत न हो।
सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्‍टर विक्रम दलाल के मुताबिक समझदारी से किया गया इनवेसमेंट अपकी जरूरतों को ध्‍यान में रखने में आपकी मदद करता है. आप डेट म्यूचुअल फंड, ईटीएफ, डीप डिस्काउंट बॉन्ड्स (डीडीबी), टैक्स फ्री बॉन्ड्स या टैक्सेबल एनसीडी आदि में अलग-अलग निवेश करके ऐसा कर सकते हैं.
अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर रहे हैं तो आप इसे और भी अलग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ऊपर बताए गए प्रत्येक टर्म के लिए प्रत्येक के लिए 10 लाख रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट की जगह प्रत्येक 2 लाख रुपये को पांच अलग-अलग जगहों पर इनवेसट करें.

ब्याज दर के जोखिमों को करता है कम
जब आप बांड फंड में निवेश कर रहे हैं, तो एक ही कार्यकाल में निवेश किए गए सभी पैसे रखने से कोई फायदा नहीं होता है। उदाहरण के लिए अगर कोई निवेशक ब्याज दर के जोखिम से बचने के लिए अपना सारा पैसा लिक्विड फंड में इनवेसट करता है, तो उसे कम इनटरेसट रेट के लिए समझौता करना होगा. अगर कोई इनवेसटर अपने सभी पैसे को लंबी अवधि के बांडों में निवेश करता है, तो उसे इनटरेसट रेट के लिए रिस्‍क लेने की उम्‍मीद है. जब ब्याज दरें जल्दी बढ़ जाती हैं, तो लंबी अवधि के फंड में बॉन्ड की कीमतें गिर जाती हैं।

इनवेसट से कम होता है रिस्‍क
यदि आप सभी पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट मेचर्स में इंटरेस्ट रेट साइकल के नीचे लगाते हैं, तो आप उसे कम रेट्स पर दूसरी जगह लगा सकेंगे. लेकिन जब आप अपने पैसों को एक क्रम से इनवेसट करते हैं तो यह सुनिश्चित करता है कि आप ब्याज दर चक्रों में निवेश कर रहे हैं.

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - February 18, 2021, 04:26 IST