बेहतर निवेश के लिए कंज्यूमर को फाइनेंशियल सर्विसेस की जानकारी जरूरी

Financial Products: सही मायनों में प्रोडक्ट ऐसे होने चाहिए जो कंज्यूमर की आवश्यकता और उनसे जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए बनाया जाए.

  • Team Money9
  • Updated Date - February 13, 2021, 03:27 IST
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निवेशकों को होने वाले भुगतान को निर्धारित करने में, उपयुक्त इंडेक्स का चुना और लुक-बैक पीरियड जैसे तत्वों का काफी महत्व होता है

निवेशकों को होने वाले भुगतान को निर्धारित करने में, उपयुक्त इंडेक्स का चुना और लुक-बैक पीरियड जैसे तत्वों का काफी महत्व होता है

फाइनेंशियल प्रोडक्ट (Financial Products) की जरूरत 3 वजहों से रहती है. जिसमें पहला इन्वेस्ट सरप्लस फंड यानि निवेश. यह ऐसी सर्विस है जो आपकी लाइफ, प्रॉपर्टी और हेल्थ को सिक्योर करती है. इसमें कोई भी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट लेते समय यह देखना जरूरी है कि यह एलआईपी प्रोडक्ट है या नहीं. एलआईपी यानी लेंडिंग, इन्वेस्टिंग और प्रोटेक्टिंग. यह किसी भी बैंक या नॉन बैंक जैसे NBFC या HFC या MSI के जरिए मिलता है. यह सभी RBI के द्वारा संचालित होती हैं. वहीं म्यूचुअल फंड जैसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट सेबी (SEBI) की ओर से संचालित होते हैं. जबकि प्रोटेक्शन प्रोडक्ट जैसे इंश्योरेंस यह आईआरडीए (IRDA) के द्वारा संचालित होती हैं.

फाइनेंशियल इन्क्‍लूशन का भी ध्‍यान रखना जरूरी
भारत में ज्यादातर फाइनेंशियल प्रोडक्ट (Financial Products) को कंज्यूमर सेगमेंट के हिसाब से नहीं बांटा गया है. इसी वजह से यहां लोग अभी भी फाइनेंशियल चीजों की बारीक समझ नहीं रखते हैं. इसी गैप को भरने के लिए फाइनेंशियल इंक्लूजन की जरूरत है. इसमें कंजूमर तक प्रोडक्ट की पहुंच बहुत आसान हो और उनके पास अपने अनुसार उत्पाद चुनने की छूट होनी चाहिए. इसमें उनकी जरूरतों का भी ख्याल भी रखा जाना चाहिए. यही असल में सही मार्केट अर्थव्यवस्था है.

बेचना बनाम निवारण
अभी भारत में ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट को बनाने और बेचने पर ध्यान दिया जाता है, जो पारंपरिक चीजों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं. जबकि सही मायनों में प्रोडक्ट ऐसे होने चाहिए जो कंज्यूमर की आवश्यकता और उनसे जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए बनाया जाए. कस्टमर्स के लिए प्रोडक्ट ऐसे होने चाहिए, जिनके जरिए वे जान सके कि इससे उन्हें क्या फायदा होगा.

डिस्ट्रीब्यूशन आइडिया
देश में अलग-अलग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स (Financial Products) विभिन्न संस्थाओं द्वारा संचालित किए जाते हैं. लेकिन क्या BFSI इंडस्ट्री को एकजुट नहीं होना चाहिए जिससे एक ही जगह पर लोगों को सारी सर्विस उपलब्ध हो सके. मल्टी ब्रांड फाइनेंशियल आउटलेट(BFSI) अपने ब्रांच में एक ही जगह म्यूचअल फंड से लेकर लोन तक की सारी जानकारी लोगों को मुहैया कराएं.

आने वाले समय के जोखिम
21वीं शताब्‍दी में भारतीय संभावित रूप से 45-50 वर्ष तक की आयु में रिटायर होंगे. ऐसे में बढ़ती महंगाई में जीवन यापन के लिए उन्‍हें अपनी सेविंग को बढ़ाना होगा. क्‍योंकि समय के साथ इंट्रस्ट रेट का कम होना और महंगाई और हेल्‍थकेयर की कॉस्‍ट बढेगी. इसलिए यदि आप एक वित्तीय सेवा उत्पाद (Financial Products) को नहीं समझते हैं, तो कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्‍तीय सलाहकार से बात जरूर करें. ऐसा करने से आप बाद में पछताएंगे नहीं. यही वजह है कि BFSI सेक्‍टर का हम सभी के लिए समझना, ट्रैक करना और इसपर सवाल करना बेहद महत्‍वपूर्ण है.

लेखक श्रीनाथ श्रीधरन, मार्केट एक्‍सपर्ट है.  

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - February 13, 2021, 11:12 IST