पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में पूंजी इकट्ठी करने की राह में बड़ी गलतियां न करने की एक अहम भूमिका होती है. मोटे तौर पर, इनमें से ज्यादातर जाल में फंसाने के हथकंडे होते हैं जिनका इस्तेमाल इंश्योरेंस एजेंट, बैंक रिलेशनशिप मैनेजर और सर्विस प्रोवाइडर (मसलन, बीमा कंपनियां, क्रेडिट कार्ड कंपनियां और अन्य) ग्राहकों को फंसाने के लिए करते हैं.
अगर आप इन गलतियों से बचते हैं तो आप काफी पैसा बचा सकते हैं और इससे आप पूंजी खड़ी कर सकते हैं.
ये टॉपिक सभी लोगों के लिए है. चाहे आप पैसे का खुद प्रबंधन करें या फिर अपने एडवाइजर के जरिए करें तो भी आपको अपने वित्तीय प्रबंधन में लंबा वक्त लगता है.
ये इस कड़ी के कई आर्टिकल्स में पहला है. इसमें निवेशकों द्वारा की जाना वाली आम गलतियों को कवर किया गया है.
आम गलती #1
पर्याप्त जीवन बीमा न लेना
पड़ोस के LIC वाले अंकल एक मसीहा के जैसे लगते हैं और वे आपको सबसे ज्यादा कमीशन वाले प्रोडक्ट्स बताते हैं. यहां सबसे ज्यादा कमीशन का मतलब फीसदी में नहीं है, बल्कि रुपयों में है. टर्म इंश्योरेंस में फीसदी आधार पर सबसे ज्यादा कमीशन होता है, लेकिन चूंकि प्रीमियम कम होता है, ऐसे में रुपयों के आधार पर ये ज्यादा नहीं बैठता है.
ऐसे में पारंपरिक इंश्योरेंस प्लान में लाइफ कवर आमतौर पर सालाना प्रीमियम का 10 गुना होता है. भले ही आप हर साल 1 लाख, 2 लाख या 3 लाख रुपये सालाना दे रहे हों, जीवन बीमा कवर आपके परिवार को होने वाले वित्तीय नुकसान की भरपाई करने लायक नहीं होता है. रूल नंबर 420, कभी भी ऐसे प्लान मत खरीदिए जो कि आपको पर्याप्त कवर नहीं देते हैं.
मिसाल के तौर पर, मान लीजिए कि मिस्टर X की आमदनी 20 लाख रुपये सालाना है. मान लीजिए कि वे हर साल पारंपरिक जीवन बीमा पॉलिसी में 5 लाख रुपये सालाना निवेश करते हैं.
ऐसे में समस्या ये है कि भले ही वे अपनी सालाना कमाई का 25 फीसदी हिस्सा भी जीवन बीमा पर लगा दें, लेकिन लाइफ कवर आमतौर पर सालाना प्रीमियम का 10 गुना बैठता है और ये उनके सालाना पैकेज का 2.5 गुना ही रहेगा.
किसी भी अनहोनी की स्थिति में अगर मिस्टर X गुजर जाते हैं तो उन पर आश्रित लोगों को केवल 50 लाख रुपये ही मिलेंगे. ये रकम किसी भी लिहाज में मिस्टर X की कमाई जा रही रकम की भरपाई नहीं कर सकती है. परिवार के लिए तब हालात और खराब हो जाएंगे अगर उनके ऊपर हाउसिंग लोन का बकाया भी हो. सभी लंबे वक्त के वित्तीय लक्ष्य पीछे चले जाते हैं और परिवार की लाइफस्टाइल पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है.
अगर आप लाइफ इंश्योरेंस ले रहे हैं तो एक बेसिक टर्म इंश्योरेंस लीजिए और यह सुनिश्चित कीजिए कि आपका सम एश्योर्ड आपकी सालाना इनकम का 10-12 गुना हो. इस तरह का फंड ही एक उचित कमाई देने में समर्थ होगा और आपके परिवार को निश्चित तौर पर वित्तीय तौर पर कोई दिक्कत नहीं होगी.
सम एश्योर्ड के लिए अपने फाइनेंशियल प्लानर से सलाह लें. मैंने केवल 10-12 गुने सम एश्योर्ड की बात की है. लेकिन, हर शख्स की परिस्थितियों के हिसाब से ये रकम अलग-अलग हो सकती है.
(लेखक मनी माइंड एंड माइलस्टोन्स के चीफ गोल प्लानर हैं)