Financial Identity: एक मित्र ने फोन किया. चहक कर जानकारी दी कि बिटिया के पिता बने है. लगे हाथ चाहत भी जता दी कि एक नाम ही नहीं, जल्द से जल्द उसे वित्तीय पहचान भी देनी है. लेकिन मन में कई तरह के सवाल थे. मसलन, जन्मजात का पैन मिल जाएगा या नहीं? उसके नाम से बैंक अकाउंट खुल सकता है या नहीं? डीमैट एकाउंट खुल जाएगा क्या? बिटिया के नाम से कमाई होगी, उस पर आयकर की क्या व्यवस्था होगी? और किस कानून के तहत उसे एक समय के बाद बालिग माना जाएगा?
शुरुआत आखिरी सवाल से, क्योंकि पहले के सवालों के कुछ ना कुछ तथ्य इसके जवाब में छिपे है. क्या आपने The Majority Act 1875 के बारे में सुना है? आपमें से ज्यादात्तर का जवाब होगा, नहीं. कोई बात नहीं. आप जान लीजिए कि करीब 147 पुराना यह कानून देश में आपको बालिग परिभाषित करता है. कानून कहता है, “भारत का हर निवासी 18 साल पूरा होने के बाद बालिग की अवस्था को हासिल करेगा, उसके पहले नहीं.” उम्र का आंकलन करने में जिस तारीख को जन्म हुआ, वो पहला दिन माना जाएगा और उस दिन की 18वीं वर्षगांठ की शुरुआत से ही व्यक्ति बालिग कहा जाएगा.
अब बात आती है कि 18 की यह संख्या आपके वित्तीय व्यक्तित्व (Financial Identity) में किस तरह से अहमियत रखती है? आपके वित्तीय पहचान की सबसे पहली कड़ी है 10 अंकों व अक्षरों को मिलाकर बना पैन, जिसके साथ अब 12 अंकों वाला विशिष्ट पहचान ‘आधार’ भी जुड़ चुका है. इन दोनों के लिए 18 साल के उम्र की की कोई अहमियत नहीं. जन्मजात का पैन और आधार (PAN & Aadhaar), दोनों ही बन सकता है. यानी बिटिया के लिए पैन व आधार दोनों ही बन सकता है. बस यहां ध्यान रहे कि केवल पैन से काम नहीं चलेगा, आधार भी साथ ही बनवा लें, क्योंकि सामान्य परिस्थिति में 30 जून के बाद पैन के साथ आधार नहीं जुड़ा होने पर परेशानी हो सकती है.
पैन और आधार दोनों आ गए तो वित्तीय बाजार के लिए अगला कदम बैंक की ओर रुख करेगा. अब यहां पर उमर 18 की अहमियत होगी. विभिन्न बैंक 18 साल से कम उम्र वालों के लिए खास तरह के बचत खाते का विकल्प – 10 साल तक के उम्र वालों के लिए और 10 से 18 साल तक के उम्र वालों के लिए – देते हैं. आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने तो अपने वेबसाइट पर बच्चों के खाते के लिए कम से कम उम्र की सीमा 1 दिन की रख रखी है, वहीं भारतीय स्टेट बैंक (SB) हो या फिर एचडएफसी बैंक (HDFC Bank), वो 18 साल से कम उम्र के लिए खास खातों को बात करते हैं. फिलहाल, कुछ बैंक 1 दिन से 10 साल के खाते अभिभावकों के साझा में खोलने की शर्त रखते हैं, वहीं 10 से 18 साल के बीच स्वतंत्र खाता खोला जा सकता है. अभिभावक के साथ बच्चे का पैन व आधार बैंक खाता खोलने में खासा मदद करेगा.
अब तीसरा सवाल. यहां ये जानना जरुरी है कि शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश के लिए उम्र का नो तो कोई निचली सीमा है और ना ही ऊपरी सीमा. लेकिन ध्यान रहे कि उम्र चाहे एक दिन की हो या 100 साल की, शेयर बाजार में दाखिल होने की पहली शर्त है डिमैट अकाउंट (Demat Account). वैसे तो डिमैट अकाउंट खोलनेके लिए कम से कम उम्र की कोई सीमा नहीं होती है, फिर भी यहां 18 साल का विशेष महत्व है. जानी मानी ब्रोकिंग फर्म इंडिया इंफोलाइन की वेबसाइट जानकारी देती है कि माता-पिता या अभिभावक की और से बच्चे के नाम पर खाता खोलने के समय बच्चे का पैन (आधार के साथ जुड़ा हो) तो देना ही होगा, साथ ही लिखित में बताना होगा कि बच्चे के नाम पर खाता क्यों खोला जा रहा है.
दूसरी ओर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जेरोधा की शर्तें बताती है कि बच्चे के नाम पर डिमैट अकाउंट खोल सकते है, लेकिन उसके साथ ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) की सुविधा नहीं होगी. मतलब माता-पिता या अभिभावक अपने नाम पर शेयर खरीदेंगे, फिर ऑफ मार्केट ट्रांसफर के जरिए बच्चे के खाते में डाल सकेंगे. खुद शेयर बेचने या खरीदने का अधिकार बच्चे को तब मिलेगा, जब वो 18 साल का हो जाएगा. इस उम्र पर एक बार फिर अपनी पहचान साबित करनी होगी और तमाम दस्तावेज देने होंगे. फिर जाकर अकाउंट से माता-पिता या अभिभावक की जानकारी हटेगी, हस्ताक्षर हटेंगे और 18 साल के व्यक्ति का हस्ताक्षर चलेगा.
अब चौथा सवाल. यह जुड़ा है आयकर (Income Tax) से. यहां भी 18 साल की उम्र का महत्व है. आयकर कानून की धारा 64 (1) के तहत18 साल से कम उम्र वालों के लिए कर से जुड़े प्रावधान हैं. बच्चे को बैंक खाते या फिर निवेश से जो कमाई होती है, वो यदि 1500 रुपये (एक वित्त वर्ष में) से ज्यादा है तो वो रकम माता-पिता की आय में जुड़ जाएगी. दूसरे शब्दों में कहें तो माता-पिता बच्चे के नाम पर 1500 रुपये कुल टैक्स योग्य आमदनी से घटा सकते हैं.
यहां कुछ खास बातों पर जोर देना होगा. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे की आमदनी, माता या पिता (यदि दोनों कमा रहे हो), जिनकी आय ज्यादा हो, उसमें जुड़ जाएगी. यदि माता-पिता में तलाक हो गया है तो जिस किसी के साथ बच्चा रह रहा है, उसकी कमाई में बच्चे की आमदनी जुड़ जाएगी. यदि माता-पिता, दोनों, की मृत्यु हो जाए तो बच्चे की आमदनी अभिभावक की आमदनी से नहीं जुड़ेगी, बल्कि अलग से रिटर्न दाखिल करना होगा.
ध्यान रहे कि यदि बच्चा अपने हुनर के जरिए कुछ कमाई कर रहा है, जैसे गायक है या फिर किसी रिएलटी शो को जीतता है, तो उसे कर भी देना होगा और रिटर्न भी दाखिल करनी होगी. हां, एक बात और, यदि बच्चा दिव्यांग है (40 फीसदी से ज्यादा अंधापन, बहरापन या फिर दिमागी बीमारी), हो तो उसके नाम से खोले खाते या निवेश से कमाई माता-पिता की आमदनी में नहीं जुड़ेगी.
अंत में बिटिया के पिता बने मित्र को सलाह. ऐसे तमाम उपायों के जरिए ना केवल बिटिया के लिए बेहतर भविष्य का आधार तैयार हो सकता है, बल्कि वो वित्तीय तौर पर साक्षर भी बनेगी. हां, बेटे के पिता भी ऐसे तमाम कदम उठा सकते हैं.
Disclaimer: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.
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