डिजिटल इंडिया से ऐसी व्यवस्था तैयार हुई जिससे ग्राहकों को कर्ज लेने में आसानी हुई है. हालांकि, कुछ समय से डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म संदिग्ध शर्तों की वजह से रेगुलेटर की नजरों में आए हैं. कोरोना महामारी में कई भोले-भाले कर्जदार इन प्लेटफॉर्म के झांसे में फंस रहे हैं. वक्त की मांग है कि हद से ज्यादा ब्याज दर वसूल रहे इन लेंडर्स पर रेगुलेटरी कार्रवाई हो.
इसके साथ ही महामारी की वजह से हुए डिफॉल्ट के निपटारे का भी प्लान तैयार किया जाए. कर्ज लेने से पहले लोन से जुड़ी सभी शर्तें गौर से पढ़ें.
समय के साथ कर्ज लेने और देने की प्रक्रिया में भी परिवर्तन आया है. लेकिन इन बदलावों के साथ ही झांसे में फंसाने वाले तरीके अब भी कायम हैं.
एक तरफ डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स ने देश में फाइनेंशियल इन्क्लूजन की ओर कदम बढ़ाए हैं. लोगों के लिए कर्ज लेने की प्रक्रिया को आसान हुई है – गिरवी रखने की शर्तों में ढील और लोन से जुड़ी कागजी प्रक्रिया भी आसान हुई है. वहीं दूसरी ओर, भरोसा जो लेनदार और देनदार के बीच का मजबूत रिश्ता होना चाहिए, वहां स्थिति डांवाडोल है.
इन प्लेटफॉर्मस से शृंखला के आखिरी व्यक्ति तक कैपिटल की जरूरत पूरा करने का रास्ता पहुंचा है लेकिन बढ़ते व्यापार और निजी हित के चलते कारोबार के मूल मॉडल के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
कोविड-19 महामारी के दौर में लोगों की बचत खर्च होती जा रही है और ऐसी स्थिती में ग्राहकों को जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊंचे ब्याज दरों पर भी लोन लेना पड़ रहा है.
नियम और शर्तों को लेकर कई प्लेटफॉर्म ग्राहकों का शोषण कर रहे हैं. ग्राहकों को जल्दबाजी में ऐसे आसान ऑफर के प्रलोभन में नहीं फंसना चाहिए. उन्हें सभी शर्तें समझकर ही लोन लेना चाहिए.