लगातार दो साल से गिरते रिटर्न के बाद, भारतीय खाता धारकों और पेंशन पाने वालों को एक ही चिंता सता रही है कि क्या भविष्य में डिपॉजिट रेट (Deposit Rates) में कोई बढ़ोतरी होगी या नहीं. इसका जवाब यही है कि दरें नहीं बढ़ने वाली. बल्कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए आने वाले महीनों में इनमें और गिरावट की आशंका है. फरवरी तक एक साल के डिपॉजिट पर 5.20 फीसदी तक का ब्याज मिल रहा था, जो दिखाता है कि लगातार कई महीनों से इंट्रस्ट रेट घट रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर रिटेल महंगाई बढ़कर 5 फीसदी पर पहुंच गई है. महंगाई का आकलन करें तो जानेंगे कि जमाकर्ता को महंगाई के मुकाबले कोई खास रिटर्न मिल नहीं रहा.
यहां मीडियन टर्म डिपॉजिट रेट (MTDR) पर भी एक बार गौर करना जरूरी है. ये 2 साल पहले फरवरी 2019 में शुरू किया गया था. MTDR में गिरावट तब तेज हुई जब पिछले साल मार्च में कोरोना महामारी ने इकोनॉमी को बड़ी चोट पहुंचाई.
एक महीने पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया था कि मार्च 2020 के मुकाबले इस साल जनवरी में MTDR में 146 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई है.
ठीक इसी दौरान कमर्शियल बैंकों में फंड आधारित लेंडिंग रेट (MCLR) पर एक साल का मीडियन मार्जिनल कॉस्ट 91 बेसिस पॉइंट घटा. फंड कॉस्ट में गिरावट ये दर्शाती है कि कर्ज पर दरों का ट्रांसमिशन हो रहा है. वहीं दूसरी तरफ, ये अनुमान है कि मौजूदा डिपॉजिट रेट (Deposit Rates)और स्थितियां साल 2021-22 में भी जारी रहेंगी.
जे एम फाइनेंशियल ने इस महीने की शुरुआत में जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि पिछले साल की जुलाई से घट रहे डिपॉजिट में दिसंबर में बढ़त आई थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिपॉजिट ग्रोथ नोटबंदी के बाद के समय के स्तर के करीब है. उनके मुताबिक इस वजह से बैंक डिपॉजिट पर दरों (Deposit Rates) में बढ़ोतरी करने से कतरा सकते हैं जब तक कि अगले 6 से 9 महीनों में क्रेडिट ऑफटेक में तेज सुधार नहीं होता. इसके साथ ही क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो भी 40-42 फीसदी के स्तर पर बरकरार रहना चाहिए तभी ये संभव होगा.
नौकरियों और अर्थव्यवस्था से जुड़ी अनिश्चितताओं के दौर में जोखिम लेने से बचने की प्रवृत्ति ही वजह जिससे डिपॉजिट ग्रोथ ऊंचे है.
इससे ये भी साफ होता है कि मौजूदा स्थिति में कोई भी बदलाव तभी हो सकता है जब क्रेडिट ऑफटेक में बढ़ोतरी हो और रिजर्व बैंक के मौजूदा अकोमोडेटिव मॉनेटरी पॉलिसी में बदलाव हो.
मॉनेटरी पॉलिसी की फरवरी की बैठक में कमिटी ने रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार रखा था. वहीं पॉलिसी समीक्षा की अगली बैठक 5 से 7 अप्रैल के बीच होगी. इस समय महंगाई ऊपरी स्तरों पर हैं और देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें महंगाई को और ऊपर ले जा रही हैं.
Deposit Rates: बचत करने वालों के लिए टर्म डिपॉजिट पर काफी कम कमाई होती है (टैक्स देनदारी का आकलन ना करने पर). और दरों की ट्रैजक्टरी ये दिखाती है कि जब तक महंगाई कम नहीं होती तब तक अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना नहीं है.
Disclaimer: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.
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