कोविड संक्रमण फैलने के साथ ही देश में हॉस्पिटल बेड्स की कमी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. अस्पताल मरीजों को भर्ती करने की हैसियत में नहीं हैं और ऐसे में लोगों को घर पर ही इलाज कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
दुर्भाग्य से अब जबकि बड़ी तादाद में लोग घर पर ही इलाज करा रहे हैं ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां इन लोगों के घर पर इलाज का पैसा नहीं दे रही हैं.
ऐसा इस वजह से है क्योंकि कई बीमा कंपनियां केवल अस्पताल में भर्ती होने का खर्च देती हैं.
अगर आपकी बीमा कंपनी ने घर पर इलाज के खर्च को कवर भी किया है तो भी आपको देखना होगा कि इसमें क्या चीजें शामिल हैं और क्या नहीं.
इसकी वजह ये है कि कई इंश्योरेंस कंपनियों ने अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इनफेक्शन को अपनी पॉलिसीज से बाहर कर दिया है.
इसका मतलब ये है कि भले ही आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में घर पर इलाज का खर्च कवर हो, लेकिन आपको इसका पैसा देने से बीमा कंपनी इनकार कर सकती है.
जिस वक्त कोविड-19 ने पूरे देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को घुटनों पर ला दिया है और अस्पतालों में न बेड हैं, न ऑक्सीजन और न ही आईसीयू बेड्स हैं, ऐसे में घर में इलाज निश्चित तौर पर कोई बहुत राहत देने वाली चीज नहीं है,
पिछले साल बीमा सेक्टर रेगुलेटर IRDAI के निर्देश के बाद सभी कंपनियों ने कोविड को लेकर खासतौर पर पॉलिसीज लॉन्च की थीं, इसमें घर पर इलाज पर ट्रीटमेंट को कवर किया गया है, लेकिन आबादी के एक मामूली हिस्से के पास ही ऐसी पॉलिसीज हैं.
देश में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच भी 3 फीसदी के साथ बेहद निचले स्तर पर है. इसमें से ज्यादातर लोगों के पास बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज हैं.
मौजूदा हालात में जरूरत इस बात की है कि सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज में घर पर इलाज का कवर मिले.
बिना किसी शर्त के घर पर इलाज का खर्च इन पॉलिसीज में कवर किया जाना चाहिए.
इसमें केवल कोविड आधारित पॉलिसीज को ही कवर नहीं देना चाहिए, बल्कि हर तरह के इलाज को शामिल किया जाना चाहिए.
वेंटीलेटर्स और ऑक्सीजन सिलेंडर्स का खर्च भी इंश्योरेंस कंपनियां नहीं उठाती हैं और मरीजों को इनके लिए एक मोटी कीमत चुकानी पड़ती है.
बीमा कंपनियों की पहली जिम्मेदारी ये है कि वे मौजूदा दौर में बिना किसी आपत्ति के लोगों के क्लेम को पास करें.