कोविड से अनाथ बच्चों की देखभाल केवल पैसों और फाइलों तक सीमित न रहे

Covid Orphans: अक्सर सरकारी ऐलान फाइलों, प्रेस रिलीज, न्यूज और ट्वीट तक सीमित रह जाते हैं. ऐसे में असली चुनौती इन योजनाओं को लागू करने की है.

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रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

रिजर्व बैंक ने बैंकों को ऐसे मामले में नर्म रुख रखने के लिए कहा है.

मनी9 ने 7 मई को मांग की थी कि कोविड की वजह से अनाथ हुए बच्चों (Covid Orphans) की देखभाल की जिम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए. 29 मई को प्रधानमंत्री ने ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ स्कीम का ऐलान किया है.

इस योजना के तहत कोविड से अपने मां-बाप गंवा चुके बच्चों (Covid Orphans) की मुफ्त पढ़ाई, आयुष्मान भारत योजना के तहत 18 साल की उम्र तक 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और 23 साल की उम्र में इन सभी बच्चों को 10 लाख रुपये का फंड देने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा, उच्च शिक्षा के लिए इन बच्चों को एजूकेशन लोन के मौके भी मुहैया कराए जाएंगे और इस लोन का ब्याज सरकार उठाएगी.

कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसी तर्ज पर बड़े ऐलान किए हैं.

PM के ट्वीट से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने महिला और बाल विकास मंत्रालय से कोविड की वजह से अनाथ हुए 114 बच्चों और मां या बाप में किसी एक को गंवा चुके 2,000 से ज्यादा बच्चों के लिए एक प्रस्ताव बनाने के लिए कहा है.

17 मई को उड़ीसा ने कोविड से अनाथ बच्चों (Covid Orphans) के लिए मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने का ऐलान किया था.

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी 29 मई को कोविड की वजह से अपने मां-बाप दोनों को या किसी एक को गंवा चुके बच्चों के लिए ‘उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ का ऐलान किया है. राज्य सरकार ऐसे बच्चों के अभिभावकों को 4,000 रुपये मासिक की वित्तीय सहायता देगी. साथ ही जिन बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं है, उन्हें राज्य के चिल्ड्रेन्स होम में रखा जाएगा.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के तुरंत बाद प्रति बच्चा 2,500 रुपये मासिक देने और 12,000 रुपये सालाना अतिरिक्त खर्च के लिए देने का ऐलान किया है. इसके अलावा, इन बच्चों (Covid Orphans) के खातों में 18 साल के होने तक 1,500 रुपये प्रतिमाह भी जमा किए जाएंगे.

साथ ही बेटियों को सरकार की आंगनवाड़ियों में मुफ्त शिक्षा मिलेगी और उनकी शादी के वक्त 51,000 रुपये और इतने वर्षों में इस पर इकट्ठा हुए ब्याज को दिया जाएगा.

शादी के वक्त दिए जाने वाले पैसों को लेकर एक अलग सामाजिक बुराई का तर्क है. लेकिन, अक्सर सभी सरकारी ऐलान  सरकारी फाइलों, प्रेस रिलीज, न्यूज रिपोर्ट और ट्विटर पोस्ट तक सीमित रह जाते हैं. ऐसे में असली चुनौती इन योजनाओं को लागू करने की है.

इनका (Covid Orphans) पुख्ता तौर पर रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए. इसके अलावा, इनकी लगातार निगरानी होनी चाहिए और खामियों को दुरस्त किया जाना चाहिए.

कोविड की वजह से अनाथ हुए बच्चों (Covid Orphans) को सम्मान, अपनेपन, अच्छी शिक्षा, पोषण और लगाव की जरूरत है.

केयर यानी देखभाल का मतलब केवल पैसों से नहीं होना चाहिए. इन बच्चों के रहने, स्वास्थ्य और सामाजिक माहौल के मसलों पर सबसे बेहतरीन सुविधाएं दी जानी चाहिए. ऐसे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी खास तवज्जो दी जानी चाहिए.

कोविड की वजह से अनाथ हुए बच्चे (Covid Orphans) भारत के बेटे-बेटियां हैं. इन्हें किसी भी सूरत में ऐसे मुश्किल हालात में बेसहारा नहीं छोड़ा जा सकता है.

Published - May 30, 2021, 02:46 IST