हिंदू, इस्लाम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी प्रमुख धर्मों में दूसरों की मदद करने का महत्व बताया गया है. यहां तक कि विकसित देशों में भी चैरिटी की आज भी बड़ी भूमिका है. रॉकफेलर से लेकर बिल गेट्स तक सभी बड़े इन्वेस्टर्स और कारोबारी सामाजिक कामों के लिए फाउंडेशंस बनाते हैं.
ऐसे वक्त में जबकि भारत कोविड की दूसरी लहर से जूझ रहा है, और हताशा चारों ओर फैल रही है, शायद यही वह समय है जबकि चैरिटी पर जोर दिया जाना चाहिए और मुश्किलें झेल रहे लाखों लोगों की मदद की जानी चाहिए.
सरकार और देश के कारोबारी अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं ताकि इस आपदा से निपटा जा सके. लेकिन, देश के मध्यम वर्ग के बड़े तबके का भी इस देश के लोगों के प्रति दायित्व है.
1990 के दशक में आर्थिक सुधारों की शुरुआत होने के बाद से मध्यम वर्ग ने भारत की एक नई शक्ल गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है.
यही वह मौका है जबकि हम लोगों को सामने आकर अपने देश के लिए मदद का हाथ बढ़ाना होगा.
आबादी के एक बड़े हिस्से में फैली हुई गरीबी के बावजूद हम में से कइयों ने इक्विटीज, म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड से हाल के वक्त में काफी पैसा कमाया है, अब यह वक्त है कि हमें अपनी इस कमाई का एक मामूली हिस्सा लोगों की मदद में देना चाहिए.
यहां ये नहीं कहा जा रहा है कि आप अपना वित्तीय अनुशासन तोड़ दें. लेकिन, अपने सभी खर्चों को पूरा करने के बाद, अपनी SIP चुकाने के बाद हम अपनी बची हुई कमाई का एक हिस्सा लोगों की मदद के लिए दान दे सकते हैं.
यह संस्थागत या व्यक्तिगत स्तर पर हो सकता है, लेकिन इस वक्त आपकी की गई मदद जरूरतमंदों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती है.
यह ऐसा वक्त है जबकि इस महामारी से मची तबाही में इंसानियत को बचाए रखने में सबको आगे आना चाहिए.