कोविड महामारी से भारत में लाखों लोगों ने जान गंवाई है. इस महामारी ने एक गंभीर आर्थिक और सामाजिक संकट पैदा कर दिया है. इसे देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को राहत देने के लिए हर स्तर पर काम कर रही हैं. इन्हीं उपायों में कोविड से गुजर चुके लोगों के परिजनों और बच्चों के लिए कई स्कीमों का ऐलान किया है.
हालांकि, इन उपायों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इन्हें कितने प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है. न सिर्फ हर जरूरतमंद तक सरकारी सहायता पहुंचनी जरूरी है, बल्कि इसे तुरंत मुहैया कराना भी उतना ही अहम है.
आमतौर पर देखा गया है कि सरकारें ऐलान तो बड़े-बड़े कर देती हैं, लेकिन ये कदम सरकारी फाइलों और नौकरशाही के झंझटों में फंसे रह जाते हैं. जमीन पर मौजूद तबका इन स्कीमों से महरूम ही रह जाता है.
हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड से अनाथ हुए बच्चों के लिए बड़े ऐलान किए हैं. इन बच्चों के लिए पीएम केयर्स चिल्ड्रेन फंड से 10 लाख रुपये की फंडिंग का ऐलान किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने इन बच्चों की उच्च शिक्षा और हेल्थ इंश्योरेंस जैसी जिम्मेदारी भी उठाने का वादा किया है.
राज्यों ने भी अनाथ हुए बच्चों और परिवारों के लिए पेंशन स्कीमों का ऐलान किया है. दिल्ली में अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा के खर्च के साथ ही मृतक के परिवार को 50 हजार रुपये का मुआवाजा देने का ऐलान किया है.
वहीं, ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौत पर 5 लाख रुपये के मुआवजे पर फैसला लेने के लिए एक कमिटी का गठन किया गया है.
मध्य प्रदेश सरकार ने भी 13 मई को ऐलान किया था कि हर महीने 5,000 रुपये की पेंशन दी जाएगी. तमिलनाडु सरकार ने भी अनाथ बच्चों के लिए 5 लाख रुपये का Fixed डिपॉजिट की योजना को हरी झंडी दिखा दी है.
इसी तरह कई अन्य राज्यों ने राशन से लेकर लॉकडाउन की दिक्कतें झेल रहे लोगों के लिए राहत पैकेज का ऐलन किया है.
सरकारों की ओर से करोड़ों रुपये इन योजनाओं पर खर्च होगा इसलिए जरूरी है कि जिन्हें इस पेंशन की जरूरत है उन तक स्कीम का फायदा पहुंचे.
मीडिया के जरिए ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों तक इनकी जानकारी पहुंचनी चाहिए.
इसे आसान बनाने के लिए राज्य सरकारें एक पोर्टल तैयार कर सकती हैं. इस पोर्ट पर स्कीम के तहत पात्रता, आवेदन की प्रक्रिया, राहत पहुंचने की समय-सीमा जैसी जानकारी मुहैया कराई जाए.
साथ ही, ग्राम पंचायतों की भागीदारी से उस आखिरी व्यक्ति तक भी पहुंचा जा सकता है जो सरकार के फैसले से अवगत ना हो. पंचायतों का जुड़ाव घर-घर से है और ये इन स्कीमों की सफलता की नींव साबित हो सकती हैं.
अब सिर्फ ऐलान से बात नहीं बनेगी, इसे तुरंत अमलीजामा पहनाना होगा.
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