पिछले साल कोविड-19 मोटे तौर पर देश के शहरों को कस्बों तक सीमित रहा था. इस साल दूसरी लहर में ये शहरी इलाकों से निकलकर तेजी से गांवों को अपनी जद में ले रहा है. ये एक बेहद गंभीर मसला है.
पिछले साल कृषि, फॉरेस्ट्री और फिशिंग ही धराशायी होती इकनॉमी में भी खुद को टिकाए रखने में सफल रहे थे. इस सेक्टर में हर तिमाही में पॉजिटिव ग्रोथ रही थी. ऐसे में अगर गांवों में संक्रमण फैलता है तो खेती का उत्पादन बुरी तरह से बिखर जाएगा. इसका असर खाद्यान्न, दालहन और तिलहन की ऊंची कीमतों के तौर पर दिखाई दे सकता है.
इस माहौल से बचने के लिए सभी सरकारों को गौर करने की जरूरत है. साथ ही अपने संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा गांवों की ओर लगाना होगा. ये इलाके पहले ही इंफ्रास्ट्रक्चर और सरकारी सेवाओं से वंचित हैं.
गुरुवार को 54 जिला अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भावुक अपील की और जिलाधिकारियों से इस चुनौती का सामना आगे बढ़कर करने को कहा.
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि एक बार वैक्सीन सप्लाई टाइमलाइन दुरुस्त हो जाए तो वैक्सीन मैनेजमेंट आसान हो जाएगा. उन्होंने वादा किया कि जिलों में वैक्सीन की सप्लाई में सुधार किया जाएगा.
हालांकि, इस वक्त महज अपील करने की बजाय एक राष्ट्रीय सामूहिक एक्शन की ज्यादा जरूरत है. टेस्टिंग ऐसी ही कड़ी है जिसे गांवों में तेजी से बढ़ाए जाने की जरूरत है. टेस्ट्स के अभाव में कैरियर्स बेफिक्र एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहेंगे और संक्रमण फैलाते रहेंगे.
सभी राज्य सरकारों को टेस्ट किट्स को गांवों में तेजी से पहुंचाना चाहिए और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों से कहना चाहिए कि वे तेज रफ्तार से टेस्टिंग का दायरा बढ़ाएं.
इसके साथ ही सेफ होम्स और आइसोलेशन सेंटर बनाना भी एक जरूरी काम है. सभी स्कूल और कॉलेजों की बिल्डिंग्स को इस काम में इस्तेमाल किया जा सकता है. होम आइसोलेशन किट, पैरासीटामोल, विटामिन टैबलेट्स, कफ सीरप और दूसरी जरूरी चीजों को तुरंत मुफ्त में परिवारों को मुहैया कराया जाना चाहिए.
लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण आबादी को दवाओं, ऑक्सीजन और हॉस्पिटल बेड्स मुहैया कराने की है. स्कूलों को अस्थाई केयर सेंटरों में तब्दील करने के साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों को इन मरीजों को मुस्तैदी से इलाज मुहैया कराने पर लगाया जाना चाहिए.
सरकारों को बड़ी संख्या में डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में भेजना होगा और हालिया रिटायर हुए डॉक्टरों और नर्सों को भी वापस बुलाना होगा. इसके अलावा अप्रशिक्षित मेडिकल कर्मियों को भी इस काम पर लगाना होगा ताकि बड़ी तादाद में मरीजों का इलाज किया जा सके.
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