Budget: 1 फरवरी को लाखों रिटायर्ड लोगों की आंखें टीवी से चिपकी रहेंगी. उम्मीद होगी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उनके लिए कुछ राहत लेकर आ सकती हैं. घटती ब्याज दरों के दौर में उनके सामने आने वाली वित्तीय चुनौतियों को कम करने के लिए रिटायर्ड लोगों को ऐसी ही किसी राहत का इंतजार है.
पिछले कुछ Budget में नरेंद्र मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए कुछ राहत दी थी. बैंक डिपॉजिट पर टैक्स छूट को 10,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए किया गया था. इस राशि पर कोई TDS नहीं लगता है. 80D के तहत मेडिकल इंश्योरेंस में भी छूट के दायरे को बढ़ाया गया था. वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) को भी 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया था. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक अच्छा डेट इंस्ट्रूमेंट साबित हुआ है.
हालांकि, सेविंग्स पर घटते ब्याज के दौर में यह छूट काफी नहीं हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड और पोस्टल सेविंग्स जैसे दूसरे निवेश पर घटती ब्याज दरों ने कई वरिष्ठ नागरिकों के रिटायरमेंट प्लान को झटका दिया है. क्योंकि, बढ़ती महंगाई के बीच कम होते ब्याज के बीच का अंतर काफी कम रह गया है. 2014 के बाद रिटायर हुए लोगों ने देखा होगा कि ब्याज से होने वाली आय में करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है. ब्याज से होने वाली आय से उनका गुजारा भी मुश्किल है.
2013-14 में 1 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर 9 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था. लेकिन, अब ज्यादातर लोगों के लिए यह दर 5.5 फीसदी है. वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 6-6.5 फीसदी है. घटती ब्याज दरों को देखते हुए लगता है कि किसी के लिए अपना रिटायरमेंट प्लान करना भी मुश्किल है.
उम्मीदें ब्याज से होने वाली आय में टैक्स छूट का दायरा मौजूदा लिमिट 50,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किए जाने की बहुत ज्यादा उम्मीद है. इसके अलावा Budget में मेडिक्लेम की लिमिट बढ़ने की भी उम्मीद जताई जा रही है.
डेट म्यूचुअल फंड्स के निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स जो सामान्य टैक्स रेट से कम है, उसे तीन साल के निर्धारित समय के बजाय एक साल बाद डेट फंड के लिए उपलब्ध कराया जाए. LTCG टैक्स 20 फीसदी है और यह अलग-अलग फंडों पर 1 लाख रुपए से ज्यादा की आय के लिए लागू है.
एक मायने में, सरकार अधिक अस्थिर इक्विटी फंडों की तुलना में डेट म्यूचुअल फंडों को हतोत्साहित कर रही है. इक्विटी फंड एक वर्ष के निवेश के बाद LTCG को आकर्षित करते हैं.
फिलिप कैपिटल फिक्स्ड इनकम डेस्क के कंसल्टेंट और ऑथर जॉयदीप सेन के मुताबिक, इक्विटी या इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की पात्रता के लिए होल्डिंग पीरियड 1 साल है जबकि बॉन्ड म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए होल्डिंग पीरियड 3 साल है.
जॉयदीप के मुताबिक, यहां एक विसंगति है. टैक्सेशन के अलावा सरकार यह मैसेज देना चाहती है कि इक्विटी में 1 साल का निवेश रखिए और डेट में 3 साल का निवेश रखिए. जबकि टैक्सेशन ऐसा है कि लोग इसका उल्टा करेंगे. क्योंकि, इक्विटी में काफी उतार-चढ़ाव है.
ज्यादातर रिटायर्ड लोग इक्विटी में सीधे तौर पर शेयरों की खरीद-फरोख्त से ज्यादा डिविडेंड से होने वाली इनकम पर निर्भर करते हैं. ऐसे में उन्हें 2 लाख रुपये तक की डिविडेंड इनकम पर टैक्स छूट की उम्मीद है. चूंकि सरकार महामारी से लड़ने और बुनियादी ढांचे का विकास करना चाहती है, इसलिए कुछ निवेशक निवेश किए गए बॉन्ड में टैक्स छूट की मांग कर रहे हैं.
रिटायर्ड कर्मचारियों का बड़ा वर्ग अपना पैसा प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम, सीनियर सिटिजन स्कीम, लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के इमिडिएट एनुयटी प्लान्स और फ्लोटिंग रेट सेविंग्स बॉन्ड्स 2020 में डालते हैं. इस निवेश से होने वाली इनकम 1 साल पूरा होने पर टैक्स के दायरे में आती है. ऐसे में 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए स्कीम की मैच्योरिटी पर लगने वाले टैक्स को खत्म किया जाना चाहिए.
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.
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