Budget: नौकरियां लानी हैं तो हाउसिंग को संजीवनी जरूरी

हाउसिंग रोजगार सृजन के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर्स में से एक है, जो प्रत्यक्ष लाभ के लिए हाउसिंग के साथ-साथ अप्रत्यक्ष नौकरियों को भी पैदा करता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - January 30, 2021, 07:07 IST
Budget 2021, Budget expectation

Budget 2021: महामारी कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए Budget 2021 अब तक का सबसे महत्वपूर्ण बजट है. महामारी की वजह से अभूतपूर्व मानवीय और आर्थिक संकट देखने को मिला. इस साल के बजट को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

इकोनॉमी के लिहाज से सबसे ज्यादा जरूरी रोजगार पैदा करना है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत को 2030 तक हर साल 1 करोड़ नौकरियां पैदा करनी होंगी. वहीं, मेरा अपना मानना है कि इस साल के Budget 2021 का जोर पूरी तरह से स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार सृजन करने वाले सेक्टर जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग पर होना चाहिए.

हाउसिंग रोजगार सृजन के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर्स में से एक है, जो प्रत्यक्ष लाभ के लिए हाउसिंग के साथ-साथ अप्रत्यक्ष नौकरियों को भी पैदा करता है. कंस्ट्रक्शन सेक्टर में सीधे तौर पर भी श्रमिकों, मिस्त्री, बढ़ई, प्लंबर, इंजीनियरों जैसी प्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा होती हैं. अप्रत्यक्ष नौकरियां सीमेंट, स्टील, पेंट, बिजली और हाउसिंग से जुड़े कई सहायक उद्योगों से संबंधित हैं. इसलिए रियल एस्टेट अर्थव्यवस्था को आकार देने में एक बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और GDP विकास के लिए इसका रिवाइवल भी जरूरी है.

2015 में शुरू होने के बाद से क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना को एक बड़ी सफलता मिली है. प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) को ज्यादा लोकेशंस तक पहुंचाने और मध्यम आय वर्ग के लिए डेडलाइन को मार्च 2022 तक बढ़ाने की जरूरत है, जिस तरह EWS/LIG कैटेगरी के लिए किया गया था.

महाराष्ट्र में स्टाम्प ड्यूटी की कटौती से डिमांड में अच्छी तेजी आई है. महाराष्ट्र ने 31 दिसंबर, 2021 तक निर्माण पर लगाए गए प्रीमियम में 50% की कमी की है. प्रीमियम में यह 50% की छूट नए और मौजूदा प्रोजेक्ट्स पर लागू है. प्रीमियम में कमी से कीमतों में नरमी आएगी और खरीदार की रुचि में सुधार होगा. गति को बनाए रखने के लिए दूसरे राज्यों को रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ प्रोत्साहन देने की जरूरत है.

भारत में रेंटल मार्केट को बढ़ावा देने की जरूरत है. फिलहाल, प्रॉपर्टी की कीमतों से हुए नुकसान को सेट ऑफ करने की लिमिट दो लाख रुपए है. पहले कानून में इस तरह के प्रतिबंध नहीं थे और इसलिए पहले के कानून को बहाल किया जा सकता है.

मौजूदा वक्त में निर्माणाधीन प्रॉपर्टीज के लिए होमबॉयर्स को 5% GST चुकाना पड़ता है, जो अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट का हिस्सा नहीं है और अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में रेजीडेंशियल प्रॉपर्टीज के लिए 1% GST है. अगर अंडर कंस्ट्रक्शन GST को सीमित अवधि के लिए हटाया जा सकता है, तो यह निर्माणाधीन प्रॉपर्टीज की मांग को बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा.

अटके हुए आवासीय प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार ने SWAMIH फंड की स्थापना की थी. कई हाउसिंग प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन्हें फंडिंग की जरूरत है. और सभी मुद्दों को हल करने के लिए सिंगल फंड व्यावहारिक नहीं है. इसलिए इस तरह की और फंडिंग की जरूरत है.

मौजूदा वक्त में कर्जदार किसी भी अटके हुए प्रोजेक्ट के लिए उधार देने में संकोच कर रहे हैं, क्योंकि अटके प्रोजेक्ट्स के लिए किसी भी नई फंडिंग को पहले ही दिन नए कर्जदार के खाते में नॉन परफॉर्मिंग लोन (NPL) करार दिया जा सकता है. अटके हुए प्रोजेक्ट में कर्ज को प्रोत्साहित करने के लिए नए सिरे से सिक्योर्ड फंडिंग तैयार की जानी चाहिए.

(रेणु सूद कर्नाड- लेखिका HDFC लिमिटेड की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.)

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - January 29, 2021, 06:05 IST