भारत में वित्तीय समावेश की कहानी बड़े तौर पर इस पर बात पर टिकी हुई है कि हम बैंक मित्रों का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं. कोविड-19 की दूसरी लहर के ग्रामीण इलाकों में फैलने के साथ ही बैंक मित्रों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है.
मौजूदा मुश्किल हालात में बैंक मित्र नागरिकों को वित्तीय सेवाओं की सहूलियत मुहैया करा सकते हैं.
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देबाशीष पांडा ने अपने ट्वीट में इनकी भूमिका की सराहना की है और राज्यों को निर्देश दिए हैं कि बैंक मित्रों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जाए. यह सही दिशा में उठाया गया कदम है.
कोविड महामारी ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है और ऐसे वक्त पर समाज के हाशिये पर मौजूद तबके की मदद का काम कर रहे हर शख्स को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
बैंक मित्र इन्हीं में आते हैं. ये लोग देश के दूर-दराज के इलाकों और गांवों में लोगों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया करा रहे हैं. इनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना जरूरी है क्योंकि ये हमेशा कोविड की चपेट में आने के जोखिम में रहते हैं.
प्रधानमंत्री जनधन योजना भी इसी वजह से सफल हो सकी है क्योंकि इसमें बैंक मित्रों ने एक बड़ी भूमिका निभाई है.
छोटे कस्बों और गांवों में कई बैंक कस्टमर्स और खासतौर पर बुजुर्ग नागरिक बैंकों की दी जा रही ऑनलाइन सर्विसेज का फायदा नहीं उठा पाते हैं. ऐसे में बैंक मित्र डिजिटल पेमेंट और लेनदेन को लेकर इन लोगों में जागरूकता पैदा कर सकते हैं.
देश पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है और ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इन बैंक मित्रों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगाई जाए.
कोविड की वजह से पैदा हुई उथल-पुथल से निपटने में अभी तक बैंकिंग सेक्टर ने अच्छा काम किया है और कई आवश्यक सेवाओं को मुहैया कराने में ये सबसे आगे रहे हैं.
बैंक मित्रों के आइडिया के अब बढ़िया नतीजे आने लगे हैं और जमीनी स्तर पर इन्हें बढ़ावा दिया जाना जरूरी है.
ये बैंक मित्र जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और इन्होंने कोविड योद्धा के तौर पर अपनी छाप छोड़ी है.