यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI अब ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग दोनों के लिए भारतीय उपभोक्ताओं का पसंदीदा भुगतान मोड बन चुका है. इस वजह से ऑनलाइन लेनदेन में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल अब चलन से बाहर होने लगा है.
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार ई-कॉमर्स वेबसाइट पर डेबिट कार्ड से भुगतान की संख्या सितंबर 2023 में घटकर आधी लगभग 5.1 करोड़ लेनदेन का रह गया. पिछले साल अप्रैल में, जब केंद्रीय बैंक ने ई-कॉमर्स और ऑफलाइन मर्चेंट स्वाइप को अलग-अलग करना शुरू किया था, डेबिट कार्ड से रिकॉर्ड 11.7 करोड़ लेनदेन दर्ज किए थे.
इस साल सितंबर में डेबिट कार्ड से किए गए लेनदेन की कुल रकम 16,127 करोड़ रुपए रही, जो पिछले साल अप्रैल की तुलना में 23 फीसदी कम है. अप्रैल, 2022 में डेबिट कार्ड से लेनदेन की रकम 21,000 करोड़ रुपए थी। दुकानदारों को किए जाने वाले UPI भुगतान में सितंबर 2023 के दौरान तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. इस महीने 6.1 अरब UPI लेनदेन किया गया, जो अप्रैल 2022 में 2.2 अरब था.
इन्फीबीम एवेन्यूज के संयुक्त प्रबंध निदेशक विश्वास पटेल का कहना है कि छोटे मूल्य के भुगतान के लिए, उपभोक्ता यूपीआई पसंद करते हैं और बड़े मूल्य के भुगतान के लिए नेट बैंकिंग लोकप्रिय है. वहीं डेबिट कार्ड के उपयोग में गिरावट आई है. डेबिट कार्ड के माध्यम से निपटान की गई राशि अप्रैल 2022 में 21,000 करोड़ रुपए से 23% गिरकर इस साल सितंबर में 16,127 करोड़ रुपए रह गई.
जहां एक ओर डेबिट कार्ड का इस्तेमाल घट रहा है, वहीं दूसरी ओर हर रोज क्रेडिट कार्ड से भुगतान लोकप्रिय हो रहा है. वर्तमान में देश में लगभग 9.3 करोड़ क्रेडिट कार्ड हैं, जिनका उपयोग 5 करोड़ से ज्यादा ग्राहक कर रहे हैं. ई-कॉमर्स में क्रेडिट कार्ड लेनदेन पिछले साल अप्रैल में 10.7 करोड़ से 22 फीसदी बढ़कर इस साल सितंबर में 13.1 करोड़ हो गया. भुगतान मूल्य के हिसाब से, क्रेडिट कार्ड से भुगतान 65,652 करोड़ रुपए से बढ़कर 92,878 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है.
बेंगलुरु स्थित भुगतान गेटवे स्टार्टअप कैशफ्री के सह-संस्थापक रीजू दत्ता का कहना है कि UPI भुगतान के सबसे पसंदीदा साधन के रूप में उभरा है. जिसके चलते डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग जैसे माध्यमों की हिस्सेदारी में कमी आई है. मगर क्रेडिट कार्ड लेनदेन की हिस्सेदारी बढ़ी है. ऑफलाइन स्टोर्स पर डेबिट कार्ड स्वाइप अप्रैल 2022 में 21.3 करोड़ से 38 फीसदी गिरकर 13.2 करोड़ रह गया.
पेयू के मुख्य उत्पाद अधिकारी मानस मिश्रा का कहना है कि यूपीआई का उपयोग करते समय यूजर्स को बस एक क्यूआर कोड को स्कैन करना होता है. इससे वे आसानी से लेनदेन कर सकते हैं. इसके अलावा एनपीसीआई की ओर से चेकआउट अनुभव जैसे कि यूपीआई स्कैन और स्थिर और गतिशील क्यूआर के माध्यम से भुगतान, यूपीआई इंटेंट, यूपीआई ऑटो पे ने चेकआउट को काफी आसान बना दिया है, जिससे लोग तेजी से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों की ओर से बड़ी संख्या में निष्क्रिय डेबिट कार्डों को डिएक्टिव करने से भी लोग यूपीआई की ओर रुख कर रहे हैं. व्यापारियों को यूपीआई भुगतान पर जीरो एमडीआर का लाभ मिलता है, जिससे उन्हें प्रति लेनदेन लागत बचाने में मदद मिलती है. बता दें एमडीआर या मर्चेंट डिस्काउंट रेट डिजिटल भुगतान स्वीकार करने के लिए व्यापारियों की ओर से वहन की जाने वाली लागत है.