मौजूदा चुनाव के बाद सरकार के लिए सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती बेरोजगारी है. रॉयटर्स के सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने यह बात कही है. अर्थशास्त्रियों ने इस वित्तीय वर्ष में देश की विकास दर 6.5 फीसद रहने की उम्मीद जताई है. हालांकि, सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के बावजूद अपनी युवा आबादी के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा करने में विफल रही है.
बेरोजगारी चुनौती
16-23 अप्रैल के रॉयटर्स पोल में 26 में से 15 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी होगी. आठ अर्थशास्त्रियों ने ग्रामीण खपत, दो ने महंगाई और एक ने गरीबी को बड़ी चुनौती बताया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्यूफैक्चरिंग और सरकारी नौकरियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
पहले भी किया नौकरियों के सृजन का वादा
भाजपा के लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने की उम्मीद है. 2014 में चुने जाने पर भाजपा ने ज्यादा नौकरियां पैदा करने का वादा किया था. उस वादे के बावजूद, हाल के वर्षों में बेरोजगारी दर से संकेत मिलता है कि पर्याप्त नौकरियां नहीं जोड़ी गई हैं. पीरियडिक लेबर फोर्स सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि बेरोजगारी दर जो 2013-14 में 3.4 फीसद थी, 2022-23 में केवल मामूली कम होकर 3.2 फीसद रह गई.
कितनी थी बेरोजगारी दर
थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक मार्च में बेरोजगारी दर 7.6 फीसदी थी. रोजगार पैदा करने में कमी आई है लेकिन सरकार की तरफ से कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में उम्मीद से ज्यादा 8.4 फीसद की दर से बढ़ने में मदद मिली. रायटर्स की सर्वे से पता चला कि पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था 6.5 फीसद और पिछले वित्त वर्ष में 7.6 फीसद की रफ्तार से बढ़ी थी. चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में यह 6.5 फीसद और 6.7 फीसद की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया था.
आर्थिक वृद्धि ज्यादा होने की संभावना
28 में से 20 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि उम्मीद से ज्यादा रहने की संभावना है. कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन मार्च में 4.85 फीसद थी. अगले वित्त वर्ष में इसके औसतन 4.5 फीसद रहने का अनुमान है. हालांकि 28 में से 19 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि महंगाई भी उनके वर्तमान अनुमान से ज्यादा रहने की संभावना है.