संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय चावल निर्यातकों पर वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के लिए जारी होने वाले चावल खरीद टेंडर में भाग लेने की रोक लगा दी है. भारत की तरफ से चावल निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों की वजह से संयुक्त राष्ट्र ने यह कदम उठाया है. भारत की तरफ से 2022 के दौरान टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई गई थी. इसके बाद पिछले साल जुलाई में गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
देश से अब सिर्फ बासमती और सेला चावल का ही एक्सपोर्ट हो रहा है. हालांकि सेला चावल के एक्सपोर्ट पर भी 20 फीसद ड्यूटी लागू है. इसके अलावा सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. भारत की तरफ से चावल निर्यात पर प्रतिबंध की वजह से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें बढ़ी हुई हैं और आगे इनमें और बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है.
गौरतलब है कि सरकार से सरकार आधार पर इंडोनेशिया, सेनेगल, गाम्बिया, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम और ईरान जैसे मित्रवत और पड़ोसी देशों को चावल का निर्यात किया जा रहा है. सरकारी निर्यात निकाय नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के जरिए निर्यात की सुविधा दी जा रही है. बता दें कि NCEL को मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत स्थापित किया गया था.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के टेंडर में कहा गया है कि भारत में चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की वजह से वहां से निर्यात होने वाले चावल को स्वीकार नहीं किया जाएगा. निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल भारत से अपने मानवीय कार्यों के लिए 2,00,000 टन चावल की मांग की थी. गौरतलब है कि अतीत में भारत ने कभी भी डब्ल्यूएफपी के ऐसे अनुरोधों को अस्वीकार नहीं किया है.