आए दिन कॉमर्शियल संस्थाओं की ओर से आने वाले अनचाहे कॉल्स और मैसेजेस से यूजर्स काफी परेशान रहते हैं. दिनोंदिन बढ़ती इस समस्या पर लगाम लगाने के लिए दूरसंचार नियामक ट्राई अहम कदम उठाने वाली है. इसके लिए ट्राई ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें आरबीआई, सेबी और उपभोक्ता मंत्रालय के सदस्य शामिल हुए. इस दौरान दूरसंचार संसाधनों के जरिए ऐसे अनचाहे और फर्जी कॉल्स से निपटने के तरीकों के बारे में चर्चा की गई.
ट्राई ने कहा कि ऐसे अनचाहे कॉमर्शियल कॉल्स जनता के लिए असुविधा का एक प्रमुख कारण है. साथ ही ये लोगों की गोपनीयता का भी उल्लंघन करते हैं. कई जालसाज भी इस तरीके को अपनाते हैं. ऐसे में इन अनऑथराइज्ड कॉल, प्रचार और लेनदेन कॉल के लिए खास सीरीज के उपयोग पर बात की गई. बैठक में इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए व्हाइट लिस्टिंग, डिजिटल सहमति अधिग्रहण और धोखाधड़ी नियंत्रण जैसे उपायों को अपनाने पर जोर दिया गया.
160 सीरीज के उपयोग पर की बात
बैठक के दौरान नियामकों और मंत्रालयों ने कॉमर्शियल कंपनियों की ओर से किए जाने वाले कॉल की पहचान के लिए 160 सीरीज के उपयोग पर चर्चा की गई. इससे यूजर्स को ऐसी वाणिज्यिक सेवाओं और लेनदेन संबंधी कॉल्स की पहचान करने में मदद मिलेगी. अभी तक ऐसी संस्थाएं 140 सीरीज या अनऑथराइज्ड 10 अंकों वाले मोबाइल नंबर व लैंडलाइन नंबर का इस्तेमाल करते हैं.
KYC प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर
ट्राई उपभोक्ताओं की गोपनीयता की सुरक्षा और धोखाधड़ी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. इसके लिए दूरसंचार नियामक ने KYC प्रक्रियाओं को मजबूत करने और प्लेटफार्मों के माध्यम से सूचना साझा करने पर जोर दिया. ट्राई का कहना है कि इससे दूरसंचार क्षेत्र में सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी.