पश्चिम बंगाल के निजी बस परिचालक आम चुनाव के लिए अपने वाहन देने को तैयार नहीं हैं. उनका दावा है कि उन्हें मिलने वाला भुगतान बहुत कम है. चुनाव आयोग और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग चुनावों के दौरान सुरक्षा और मतदान कर्मियों को बूथों तक ले जाने और वापस ले जाने के लिए बड़ी यात्री बसों, मिनी बसों और अन्य वाहनों का अधिग्रहण करते हैं.
राज्य में 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में आम चुनाव होने हैं. चुनाव आयोग ने हाल में वाहनों को किराए पर लेने के लिए शुल्क बढ़ाया था, लेकिन बस परिचालकों का कहना है कि ये पर्याप्त नहीं है.
पश्चिम बंगाल बस और मिनीबस ओनर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रदीप नारायण बसु ने बताया, ”हमारे कर्मचारियों को कम से कम 72 घंटे रुकना पड़ता है. प्रत्येक ड्राइवर या कंडक्टर को तीन से चार दिनों तक लगातार तैनात रहना होगा, जबकि उन्हें प्रतिदिन केवल 250 रुपए मजदूरी मिलती है.
उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जहां विकल्प कम हैं. बसु ने कहा कि क्या कोई होटल या भोजनालय उन्हें चुनाव ड्यूटी करने के लिए रियायत देगा?
बस मालिकों ने यह दावा भी किया कि मई 2023 में हुए पंचायत चुनावों के दौरान राज्य पुलिस द्वारा लिए गए वाहनों के लिए उन्हें अभी तक शुल्क नहीं मिला है. इस दौरान कुछ बस परिचालकों को तय राशि से कम रकम मिली और कहा गया कि बाकी भुगतान बाद में किया जाएगा.
ज्वाइंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि प्रत्येक बस कर्मचारी को रात्रि भत्ता के अलावा दैनिक वेतन के रूप में 500 रुपए मिलने चाहिए. बस मालिकों के संगठनों ने यह भी मांग की कि उनके कर्मचारियों को मतदान कर्मियों की तरह डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डालने का मौका दिया जाए.