अमेरिका की मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रिडिक्शन सेंटर यानी CPC का कहना है कि अलनीनो का असर अगले साल जून तक बना रह सकता है. CPC के मुताबिक अलनीनो का पीक नवंबर से जनवरी के दौरान रहेगा और इसका असर अप्रैल से जून के दौरान बना रह सकता है. अलनीनो की वजह से भारत समेत पूरे एशिया में मानसून की बरसात पर असर पड़ता है और भारत में मानसून सीजन की शुरुआत जून से ही होती है. 2023 के मानसून सीजन के दौरान भी अलनीनो की वजह से कम बरसात हुई है.
अलनीनो को लेकर की गई भविष्यवाणी भारत के लिए चिंताजनक है. भारत में खरीफ फसल का उत्पादन पहले ही प्रभावित हो चुका है और रबी फसल के लिए अलनीनो मुश्किलें खड़ी कर सकता है. जून 2024 तक अलनीनो का असर बना रहने का मतलब है कि भारत में प्री मानसून की बारिश प्रभावित हो सकती है.
अमेरिकी मौसम एजेंसी ने कहा है कि पिछले चार हफ्तों में भूमध्य रेखा के पास पूर्वी प्रशांत महासागर, पश्चिमी हिंद महासागर और अटलांटिक महासागर के अधिकांश हिस्से में पानी का तापमान औसत से ज्यादा था. अलनीनो की वजह से इस साल अब तक देश का कम से कम 26 फीसद हिस्सा सूखे की चपेट में दर्ज किया गया है. अलनीनो की वजह से खासकर सितंबर और अक्टूबर का महीना वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म महीने रहे हैं.
नेशनल ओशियन एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) और EU वेदर एजेंसी कॉपरनिकस ने कहा है कि अक्टूबर 2023 तक दुनिया में रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई है. दोनों एजेंसियों ने भविष्यवाणी की है कि यह साल वैश्विक स्तर पर अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो सकता है. बता दें कि सबसे गर्म मौसम अलनीनो के प्रभाव के कारण होता है.