धीरे-धीरे लोगों ने एसएमएस के जरिए मैसेज का इस्तेमाल कर दिया है. लोग एक दूसरे से बातचीत करने के लिए अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्स का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. इस वजह से बिजनेस मैसेजिंग (एसएमएस) का नुकसान बढ़ सकता है. अनुसंधान फर्म जुनिपर रिसर्च के डेटा डेटा से पता चलता है कि भारत की टेलीकॉम कंपनियों को अगले पांच वर्षों में बिजनेस मैसेजिंग (एसएमएस) राजस्व में 29.2 मिलियन डॉलर (लगभग 250 करोड़ रुपये) का नुकसान होने की उम्मीद है. टेलीकॉम कंपनियों को राजस्व का नुकसान 2023 और 2028 के बीच ओटीटी बिजनेस मैसेजिंग ट्रैफिक में 6 गुना वृद्धि के कारण होगा.
बिजनेस न्यूजपेपर में छपी खबर के मिुताबिक ब्रिटेन स्थित अनुसंधान फर्म जुनिपर रिसर्च ने कहा कि भारतीय ऑपरेटरों को अगले पांच वर्षों में ओटीटी मैसेजिंग चैनलों से एसएमएस बिजनेस मैसेजिंग के राजस्व में 29.2 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा. भारत में ओटीटी बिजनेस मैसेजिंग ट्रैफिक 2028 में 24.2 अरब मैसेज तक पहुंच जाएगा जो 2023 में 4 अरब संदेशों से बढ़ रहा है. ”
इसमें कहा गया है कि एंटरप्राइज़ मैसेजिंग के मुख्य उपयोगकर्ताओं में से रिटेल फर्मों द्वारा ओटीटी बिजनेस मैसेजिंग खर्च 2023-2028 की अवधि के दौरान कई गुना बढ़कर 50 लाख डॉलर होने की उम्मीद है. 2023 में इसके 0.8 लाख डॉलर होने का अनुमान है.
भारत के मोबाइल ऑपरेटरों ने सरकार को हाल ही में लिखे एक पत्र में कहा था कि एंटरप्राइज़ मैसेजिंग को ओटीटी प्लेटफार्मों पर ले जाने से केंद्र और सेवा प्रदाताओं दोनों को 3,000 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व नुकसान होगा. विश्लेषकों और उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि अगले पांच वर्षों में राजस्व हानि 250 करोड़ रुपये की सीमा में होगी.
भारत के ऑपरेटरों ने भारतीय ग्राहकों को व्यावसायिक संदेश भेजने के लिए व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे ओटीटी संचार प्लेटफार्मों का अधिक से अधिक उपयोग करने वाले उद्यमों पर अपनी चिंता व्यक्त की है. टेलीकॉम कंपनियों का आरोप है कि यह प्रथा देश में “लाइसेंसिंग मानदंडों को दरकिनार करती है”. दूसरी ओर टेक कंपनियों का तर्क है कि उपभोक्ता बेहतर तकनीक और विश्वसनीयता के कारण ओटीटी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को पसंद करते हैं.