इनदिनों बहुत-सी कंपनियां अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए कई भ्रामक विज्ञापन का प्रसार कर रहे हैं. प्रोडक्ट को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए वे सोशल मीडिया के जाने-पहचाने चेहरों और सेलेब्स का सहारा ले रहे हैं. ऐसे गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने बिना जानकारी और इसके परिणाम के ऐसे प्रोडक्ट का समर्थन करने पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों और सेलिब्रिटीज पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से खासतौर पर खाद्य क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर एक हलफनामा दाखिल करने के भी निर्देश दिए.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने यह निर्देश योग गुरु रामदेव समर्थित पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई के दौरान दिए. कोर्ट का कहना है कि उनका मानना है कि भ्रामक विज्ञापनों के लिए विज्ञापनदाता और समर्थनकर्ता समान रूप से जिम्मेदार हैं. सार्वजनिक हस्तियों, प्रभावशाली व्यक्तियों और मशहूर हस्तियों के समर्थन के चलते प्रोडक्ट की पहुंच काफी ज्यादा लोगों तक जाती है. इसलिए इन्फ्लुएंसरों और सेलेब्स को विज्ञापन से जुड़ी जिम्मेदारी लेनी होगी. जो व्यक्ति किसी प्रोडक्ट का समर्थन करता है, उसे उसका ज्ञान होना चाहिए.
सेल्फ डिक्लेयरेशन देना जरूरी
अदालत ने यह भी कहा कि विज्ञापनदाता को केबल टेलीविजन नियम, 1994 की तर्ज पर स्व-घोषणा यानी सेल्फ डिक्लेयरेशन देनी चाहिए और उसके बाद ही विज्ञापन चलाना चाहिए. वैधानिक प्रावधान उपभोक्ताओं की सेवा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए थे कि वे उन उत्पादों के बारे में जागरूक हों जो वे खरीद रहे थे. ऐसा फूड सेग्मेंट में और भी ज्यादा जरूरी है. अदालत ने कहा कि वह फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) और फार्मा कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर भी गौर करेगी.
पतंजलि पर कसा शिकंजा
रामदेव समर्थित पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों के खिलाफ कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. कंपनी ने अपनी दवाओं और उत्पादों के जरिए डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज करने का दावा किया था.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पतंजलि आयुर्वेद सहित कुछ कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों के माध्यम से बीमारियों का इलाज करने का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों पर याचिका दायर की थी. नवंबर में पतंजलि ने अदालत से वादा किया था कि वह ऐसे विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगी, लेकिन बाद में पता चला कि कंपनी ने विज्ञापन जारी रखा. इसी सिलसिले में अदालत ने रामदेव और कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को तलब किया, जिन्होंने अदालत की अवहेलना के लिए दो सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित किया है.