नकदी संकट से जूझ रही दिवालिया एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट जल्द ही मुसीबत से उबरने वाली है. कंपनी को खरीदने के लिए स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने निजी तौर पर दिलचस्पी दिखाई है. वे बिजी बी एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर गो फर्स्ट के लिए बोली लगाई है. इस सिलसिले में एक प्रेस रिलीज भी जारी किया गया है. जिसमें कहा गया है कि स्पाइसजेट नई एयरलाइन के लिए ऑपरेटिंग पार्टनर की भूमिका निभाएगा. वह एयरलाइन के लिए आवश्यक कर्मचारी, सेवाएं और उद्योग विशेषज्ञता मुहैया कराने की जिम्मेदारी लेगा.
इस बारे में स्पाइसजेट के सीएमडी सिंह ने कहा कि उनका मानना है कि गो फर्स्ट में अपार संभावनाएं हैं. स्पाइसजेट के साथ तालमेल में काम करने से इस एयरलाइन को दोबारा विकसित होने का मौका मिल सकता है. इससे दोनों एयरलाइंस को फायदा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अहम स्लॉट, अंतरराष्ट्रीय यातायात अधिकार और 100 से अधिक एयरबस नियो विमानों के ऑर्डर के अलावा, गोफर्स्ट यात्रियों के बीच एक विश्वसनीय और मूल्यवान ब्रांड रहा है. इसलिए उन्हें खुशी है कि वे इस इस लोकप्रिय एयरलाइन को दोबारा खड़ा करने में अपना योगदान देंगे.
एनसीएलटी का खटखटाया था दरवाजा
गो फर्स्ट ने नकदी की समस्या का हवाला देते हुए 3 मई को ऑपरेशन बंद कर दिया था. उसने दिवालिया घोषित होने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया था. एनसीएलटी ने 10 मई को स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही शुरू करने के लिए गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार की थी. एनसीएलटी ने हाल ही में गो फर्स्ट की समाधान प्रक्रिया को 60 दिन का विस्तार दिया है. पिछले साल 23 नवंबर को दिए गए 90 दिनों के विस्तार के बाद यह एनसीएलटी का दूसरा विस्तार है, जो 4 फरवरी को समाप्त हुआ. गो फर्स्ट की दिवालियापन फाइलिंग के अनुसार, इसका सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और सहित लेनदारों पर बकाया है.