एसएमई आईपीओ में किस तरह का घोटाला? SEBI के चेयरपर्सन ने जताई चिंता

स्‍मॉलकैप इश्‍यू का साइज और फ्री फ्लोट काफी छोटा होता है. ऐसे में इसकी कीमतों में आईपीओ और ट्रेडिंग स्तर दोनों पर हेरफेर करना आसान है

एसएमई आईपीओ में किस तरह का घोटाला? SEBI के चेयरपर्सन ने जताई चिंता

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने एसएमई के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) में होने वाली संभावित हेरफेर के बारे में चिंता जताई है. उनका कहना है कि एसएमई इश्‍यू का साइज और फ्री फ्लोट काफी छोटा होता है. इसलिए इसकी कीमतों में आईपीओ और ट्रेडिंग स्तर दोनों पर हेरफेर करना आसान है. ऐसे में इससे जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए अहम कदम उठाने की जरूरत है. उन्‍होंने ये बातें सोमवार को महिला दिवस के दौरान एक कार्यक्रम में कही. बुच की टिप्‍पणी के तुरंत बाद ही बीएसई में एसएमई आईपीओ इंडेक्‍स 3 फीसद लुढ़क गया.

सेबी चेयरपर्सन ने कहा कि नियामक ने एसएमई की लिस्टिंग के लिए एक बेहतर माहौल दिया है, जो इसे आसान बनाता है. ये ज्‍यादा सुविधाजनक है, ऐसे में ये मेनबोर्ड में लिस्टिंग की तुलना में कम रेगुलेटेड है. मगर कुछ संस्‍थाएं इस सुविधाजनक फ्रेमवर्क का गलत इस्‍तेमाल कर रही हैं. इसे कम करने के लिए सेबी ने जो पहला कदम उठाया, वह है अतिरिक्त निगरानी प्रणाली (ASM) और ग्रेडेड निगरानी प्रणाली (GSM), पहले ये एसएमई बोर्ड में लागू नहीं होते थे.

बुच ने ये भी कहा कि आईपीओ के मूल्य हेरफेर का मुकाबला करने के लिए ज्‍यादा डिस्‍क्‍लोजर की जरूरत होगी. उन्‍होंने कहा कि इक्विटी बाजारों में स्‍मॉल और मिडकैप क्षेत्र में बबल बनता जा रहा है, जो निवेशकों को प्रभावित कर सकता है. इन पर किए गए विश्‍लेषण से पता चला है कि कुछ मामलों में मूल्यांकन पैरामीटर चार्ट से बाहर थे और बुनियादी सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहे थे. बाजार नियामक ने म्यूचुअल फंडों को 15 मार्च से छोटे और मिड-कैप फंडों के स्‍ट्रेस टेस्‍ट रिजल्ट का खुलासा करने का निर्देश दिया है.

बुच ने कहा कि प्रत्येक म्यूचुअल फंड को इस बात का खुलासा करना होगा कि स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंडों में संख्याएं कैसे बढ़ती हैं, ताकि निवेशक तनावग्रस्त स्थिति में स्मॉल- और मिड-कैप में निवेश के संभावित परिणाम के बारे में जागरूक रहें. इसके अलावा ऐसे बबल से होने वाले जोखिमों से बचने या कम करने और निवेशकों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त जोखिम प्रबंधन नीतियां बनाने की जरूरत होगी. बुच ने यह भी बताया कि टी+0 समझौता इस महीने के आखिर तक अमल में आएगा. इसके बाद अगले मार्च तक तुरंत निपटान होगा. वर्तमान में, भारतीय शेयर बाजार सभी शेयरों के लिए टी+1 निपटान चक्र पर काम करता है.

Published - March 12, 2024, 12:23 IST