भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने ग्रीन डिपॉजिट पर लगने वाले नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को कम करने की RBI से अपील की है. वर्तमान में इन जमाओं पर CRR 4.5 प्रतिशत पर है. बता दें ग्रीन डिपॉजिट ऐसी रकम है जिसका उपयोग पर्यावरण योजनाओं में किया जाएगा. इसके लिए एसबीआई ने पिछले महीने हरित जमा योजना की घोषणा की थी. इस स्कीम का मकसद ग्राहकों को लंबी अवधि के खुदरा जमा के लिए आकर्षित करना है, जिससे जमा राशि का उपयोग हरित परियोजनाओं या जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं में किया जा सके.
भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि बैंक ग्रीन डिपॉजिट पर सीआरआर की जरूरत को कम करने के लिए रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है. इसे नियामक नीति तंत्र में शामिल किया जा सकता है. इसकी शुरुआत नियामक की ओर से भी हो चुकी है, लेकिन अभी इसमें समय लगेगा. इसका असर दो से तीन साल में मूल्य निर्धारण पर भी पड़ने लगेगा.
चेयरमैन ने यह भी कहा कि बैंक यह देखने के लिए रेटिंग संस्थाओं के साथ जुड़ रहा है कि क्या ग्रीन फाइनेंसिंग के लिए एक अकाउंटिंग स्टैंडर्ड तय किया जा सकता है. एसबीआई ने पर्यावरण, सामाजिक और शासन रेटिंग के आधार पर कर्जदारों का मूल्यांकन भी शुरू कर दिया है.
क्या होता है सीआरआर?
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) नकदी की वह न्यूनतम राशि है जिसे किसी बैंक को अपनी कुल जमा राशि के मुकाबले केंद्रीय बैंक के पास रिसर्व रखनी होती है.
कितने अवधि की है योजना?
एसबीआई ने पिछले महीने 1,111, 1,777 और 2,222 दिनों की अवधि वाली हरित रुपया सावधि जमा योजना शुरू की थी, जिसमें बैंक में नियमित एफडभ् की समान अवधि पर प्रचलित दरों से लगभग 10 आधार अंक कम ब्याज दरें थीं. आरबीआई ने एफडी स्वीकार करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की है, जो जून 2023 से लागू है. इसके अनुसार, वित्तीय संस्थानों को हरित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने का निर्णय लेने से पहले हरित जमा जुटाना होगा. प्राप्त राशि को एक वर्ष तक की मैच्योरिट वाले लिक्विड स्कीम में निवेश किया जा सकता है.