केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश के पेमेंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स के लिए नियम सख्त किए हैं. नियामक ने बढ़ते पेमेंट इकोसिस्टम को और मज़बूत करने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत पेमेंट एग्रीगेटरों को ऑफलाइन कारोबारियों की केवाईसी वेरिफाई करनी होगी. इस सिलसिले में एक मसौदा भी जारी किया गया है, जिस पर 31 मई, 2024 तक लोगों के सुझाव मांग गए हैं.
नई ड्राफ्ट गाइडलाइन के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर कारोबारी की कस्टमर ड्यू डिलीजेंस (CDD) की पूरी ज़िम्मेदारी लेंगे. अगर एग्रीगेटर ने किसी व्यापारी को प्लेटफॉर्म पर जगह दी है तो वो इस बात का ध्यान रखेंगे कि उसके जरिए लेनदेन सिर्फ उसी व्यवसाय के लिए हो, जिसका वो व्यापार कर रहा है. उदाहरण के तौर पर अगर किसी की केमिस्ट की दुकान है तो वो किराने या किसी अन्य वस्तु के लिए पेमेंट स्वीकार नहीं कर सकता है.
न्यूनतम नेटवर्क 15 करोड़ से नहीं होनी चाहिए कम
ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार जो पेमेंट एग्रीगेटर या point of sale की सर्विस देते हैं ऐसे Non-Banks की न्यूनतम नेटवर्थ 15 करोड़ से कम नहीं होनी चाहिए. रिजर्व बैंक में ऑथराइजेशन का एप्लिकेशन सबमिट करते समय इस नियम का पालन जरूरी है. यह न्यूनतम नेट वर्थ मार्च 31, 2028 तक 25 करोड़ होनी चाहिए. मौजूदा पेमेंट एग्रीगेटर अगर तय नेटवर्थ साबित नहीं कर पाए तो उन्हे 31 जुलाई 2025 तक अपना बिजनेस बंद करना होगा. नेटवर्थ का सबूत देने के लिए एग्रीगेटरों को अपने ऑडिटर से सर्टिफिकेट और फाइनेंशियल स्टेटमेंट जमा करना होगा.
कस्टमर डाटा नहीं होगा सेव
पेमेंट एग्रीगेट या पॉइंट ऑफ सेल (PoS) कार्ड ट्रांजैक्शंस के वक्त कोई भी कस्टमर डाटा सेव नहीं किया जायेगा. अगर ऐसा डाटा मेंटेन किया गया है तो उसे डिलीट करना होगा. नियम के मुताबिक कस्टमर डाटा रखने का अधिकार सिर्फ कार्ड जारी करने वाले बैंक या कार्ड नेटवर्क के पास है.