सुधरेगी दवाओं की क्वालिटी, केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों के लिए जारी की गाइडलाइन

अनुसूची M फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए 'गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस' (GMP) को निर्धारित करती है.

सुधरेगी दवाओं की क्वालिटी, केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों के लिए जारी की गाइडलाइन

फोटो साभार: TV9 भारतवर्ष

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नागरिकों के स्वास्थ और सुरक्षा को ध्यान में सरकार समय-समय पर दवाओं से जुड़े नियमों में बदलाव करती रहती है. दवाइयों की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 6 जनवरी को ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स नियम, 1945 की अनुसूची M के तहत नियमों को संशोधित किया है. इसके तहत दवा कंपनियों को किसी औषधि को वापस लेने के बारे में लाइसेंसिंग प्राधिकारी को सूचित करना होगा और उत्पाद की खराबी के बारे में भी जानकारी देनी होगी.

क्या है GMP?

अनुसूची M फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए ‘गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस’ (GMP) को निर्धारित करती है. GMP अनिवार्य मानक है जो सामग्री, विधियों, मशीनों, प्रक्रियाओं, कर्मियों और सुविधा/पर्यावरण आदि पर नियंत्रण कर उत्पाद में गुणवत्ता बनाता है और लाता है. संशोधन के साथ, ‘गुड मैन्यूफेक्चरिंग प्रैक्टिस’ (GMP) शब्द को ‘अच्छी विनिर्माण प्रथाओं और फार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए परिसर, संयंत्र और उपकरण की आवश्यकताएं’ से बदल दिया गया है.

WHO के मानकों का पालन करेंगी कंपनियां

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस संशोधन से देश की फार्मास्यूटिकल कंपनियों को दवा बनाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों का पालन कर पाएंगी. संशोधित अनुसूची M के तहत फार्मास्युटिकल गुणवत्ता प्रणाली (PQS), गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन (QRM), उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा (PQR), उपकरणों की योग्यता और वेरिफिकेशन और सभी दवा उत्पादों के लिए कम्पूटराइज्ड स्टोरेज सिस्टम का पालन कर पाएंगी.

टेस्ट के बाद बेचनी होगी दवा

अधिसूचना, दिनांक 28 दिसंबर, 2023 में कहा गया है कि दवाओं की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेनी होगी. उन्हें यह देखना होगा कि उनकी दवाई से मरीजों को किसी तरह का जोखिम न हो. नई गाइडलाइन में कहा गया कि दवा कंपनियों को प्रोडक्ट की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी. फार्मा कंपनियों को लाइसेंस के मापदंडों के मुताबिक ही दवा बनानी होगी. दवाओं को पूरी तरह से टेस्ट करने के बाद ही बाजार में बेचना होगा.

रोगियों और उद्योग दोनों को होगा फायदा

भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन का मानना है कि इस बदलाव से भारत में वाली दवाओं की क्ववालिटी वैश्विक बेंचमार्क साबित होंगी. उनका मानना है कि इससे गुणवत्ता मानक बेहतर होंगे. अनुसूची M के संशोधित नियम उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के निर्माण को बढ़ावा देकर रोगियों और उद्योग दोनों को फायदा करेंगे.

Published - January 8, 2024, 05:31 IST