हाल ही में पुणे में एक नाबालिग लड़के के नशे में तेज रफ्तार कार से दो लोगों को कुचले जाने का मामला सामने आया. आरोपी के हिरासत में लिए जाने के महज 15 घंटे के अंदर जमानत पर रिहा होने से मामले ने तूल पकड़ लिया है. इतना ही नहीं इससे ड्राइविंग कानून पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. देश में व्यवस्क और नाबालिग के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिर नशे में गुनाह करने पर नाबालिग को सजा में रियायत देना कितना सही है.
नशे में गाड़ी चलाते समय पकड़े जाने पर कितनी है सजा?
देश में विभिन्न राज्यों के आधार पर 18 से 25 साल के व्यस्कों के लिए शराब पीकर गाड़ी चलाने को लेकर अलग-अलग कानून मौजूद है. 2019 में संशोधित मोटर वाहन अधिनियम में नशे में गाड़ी चलाने से निपटने के लिए खास प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं.
– अगर कोई व्यक्ति 100 मिलीलीटर खून में 30 मिलीग्राम से ज्यादा नशीली दवाओं का इस्तेमाल करके गाड़ी चलाते पाया कया तो उसे जेल हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा दोषी का ड्राइविंग लाइसेंस भी कैंसल किया जा सकता है.
– पहले अपराध के लिए गाड़ी चलाने वाले को अधिकतम छह महीने की जेल की सजा या 10,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.
– अगर कोई व्यक्ति पहली सजा के तीन साल के भीतर कोई दूसरा अपराध करता है, तो उन्हें दो साल तक की जेल या पंद्रह हजार रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
– यदि नशे में गाड़ी चलाने से किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान होता है तो अपराधी को दो साल तक की जेल या 5,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है.
– यदि नशे में गाड़ी चलाने के कारण किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो अपराधी को जुर्माने के अलावा दो से सात साल की जेल हो सकती है.
नाबालिगों के लिए क्या है सजा का प्रावधान?
– अगर किसी नाबालिग से सड़क हादसा हुआ हो तो गाड़ी के मालिक या अभिभावक को दोषी ठहराया जाएगा. इसमें नाबालिग अधिनियम में मौजूद प्रावधान के अनुसार जुर्माना और अन्य दंड का सामना करना होगा.
– इसमें अभिभावक को 25,000 रुपए जुर्माने के साथ तीन साल तक की जेल हो सकती है. – हादसे में शामिल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए रद्द कर दिया जा सकता है.
– नाबालिग को धारा 8 के तहत लर्नर परमिट या धारा 9 के तहत ड्राइवर लाइसेंस के लिए पात्र होने के लिए 25 वर्ष का होने तक इंतजार करना होगा.
– नाबालिग पर लगाया गया जुर्माना अव्यस्क के लिए मौजूद कानून के तहत होगा. अगर उसे कारावास से जुड़ी सजा सुनाई जाती है तो किशोर न्याय अधिनियम, 2000 (2000 का 56) के तहत इसे बदला जा सकता है.