Government Banks: सरकारी बैंकों के विलय (Merger) को लेकर सरकार अभी कोई विचार नहीं कर रही है. सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण (Privatisation) की योजना को अब लक्ष्य के साथ आगे बढ़ाना चाहती है. इसलिए सरकार इन बैंक को मर्ज नहीं करेगी बल्कि इनका निजीकरण कर देगी. इस योजना पर वित्त वर्ष 2025 में ही काम शुरू हो सकता है. दरअसल, सरकार ने कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय कर दिया है. लेकिन अब सरकार नई योजना पर काम करेगी.
गौरतलब है कि देश में साल 2017 से अब तक लगभग 15 बैंकों का विलय हो गया है. 2017 में 27 पब्लिक सेक्टर बैंक थे जो अब 12 रह गए हैं. लेकिन अब सरकार इनका विलय नहीं करेगी. बैंकिंग सेक्टर को मजबूत और सुविधाजनक बनाने के लिए अब सरकार नई योजना बना रही है. सरकार को पब्लिक सेक्टर के बैंकों का विलय करना बेहतर विकल्प नजर नहीं आ रहा है इसलिए इन बैंकों के लिए सरकार अब नई योजना पर काम कर रही है.
लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अब किसी भी बैंक का विलय नहीं करने जा रही है. हालांकि इससे पहले इंफॉर्मिस्ट मीडिया का कहना था कि अगर बीजेपी की वापसी होती है तो वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों का विलय कर सकता है क्योंकि इससे पहले हुए बैंक मर्जर से बैंकों की स्थिति सुधरी थी. विलय के समय सरकार ने इन एनपीए के तले दबे हुए बैंकों में पूंजी भी लगाया, जिससे बैंकों की हालत में सुधार दिखा. लेकिन अब सरकार बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में सरकार सबसे पहले आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) की हिस्सेदारी बेचेगी. हालांकि ये खबर लगभग 2 साल से चल रही है. सरकार के पास आईडीबीआई बैंक में 45 फीसद और एलआईसी के पास 49.24 फीसद हिस्सेदारी है. सरकार अपनी और एलआईसी की हिस्सेदारी बेचना चाहती है यानी कुल मिलकर इस बैंक का 60.7 फीसद हिस्सा सरकार बेच सकती है. इसके बाद यह बैंक पूरी तरह से निजी हो जाएगा. इस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank), सीएसबी बैंक (CSB Bank) और एमिरेट्स एनबीडी (Emirates NBD) ने रुचि दिखाई थी.
बैंकों के प्राइवेटाईजेशन कि सरकार की योजना को लेकर पहले भी मिंट ने विस्तृत जानकारी दी थी. मिंट की रिपोर्ट में कहा गया था कि बैंकों का एनपीए कम हुआ है और वो प्रॉफिट में भी हैं. इसलिए सरकार अब इनका निजीकरण करने की तैयारी में है. इसके लिए वित्त मंत्रालय, आरबीआई (RBI), नीति आयोग (Niti Aayog) के नेतृत्व में एक समिति का गठन भी किया था. हालांकि अब तक किसी भी बैंक का निजीकरण हुआ नहीं है लेकिन आईडीबीआई बैंक के निजीकरण पर काम चल रहा है. हालांकि आने वाले समय में और भी बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते समय दो सरकारी बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की बात कही थी. इसके बाद इसकी ख़बरें और तेज होने लगी कि सरकार बैंकों का निजीकरण करने वाली है.