पंजाब में भले ही आम लोगों को मुफ्त बिजली योजना का लाभ मिल रहा है. लेकिन इसके बावजूद पंजाब पावर कॉरपोरेशन यानि पीएसपीसीएल ने शानदार तिमाही नतीजे दर्ज किए हैं. राज्य की भगवंत मान सरकार के बेहतर राजस्व प्रबंधन के चलते पीएसपीसीएल न सिर्फ 1800 करोड़ से अधिक के घाटे से उबरा है, वहीं इसने शानदार मुनाफा दर्ज किया है. 2023 की सितंबर तिमाही में पंजाब पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 564.76 करोड़ रुपये लाभ दर्ज किया है. जबकि पिछले साल यानि 2022 की सितंबर तिमाही में पावर कॉरपोरेशन ने 1880.25 करोड़ रुपए का घाटा दर्ज किया था.
पंजाब पावर कॉरपोरेशन ने हाल ही में तिमाही नतीजे जारी किए है. इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि चुस्त राजकोषीय प्रबंधन के चलते कैसे घाटे में चल रहे बिजली क्षेत्र का कायाकल्प हुआ है. इस कायापलट के प्रमुख कारणों की बात करें तो इसका एक बड़ा कारण राज्य सरकार द्वारा बिजली सब्सिडी का समय पर भुगतान रहा है. भगवंत मान के नेतृत्व में चल रही पंजाब की आप सरकार ने बिजली विभाग को समय पर 12342 करोड़ की 100% सब्सिडी का भुगतान किया है. वहीं वित्तवर्ष 2022—23 में राज्य सरकार ने पीएसपीसीएल को 13742 करोड़ रुपए की सब्सिडी का भुगतान किया था. इस सब्सिडी भुगतान ने पंजाब के पावर सेक्टर की ग्रोथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पीएसपीसीएल के तिमाही नतीजों से पता चलता है कि मान सरकार की सक्रियता से न सिर्फ राज्य में बिजली उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं बेहतर प्रबंधन के कारण राज्य के लोगों को बिजली की कटौती से भी बड़ी राहत मिली है. पीएसपीसीएल ने बिजली खरीद से जुड़े सौदों में लागत को नियंत्रण में रखने के पूरे प्रयास किए हैं. बिजली संयंत्रों को कोयले की बेहतर सप्लाई के लिए पछवाड़ा कोयला खदान से सस्ते कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. पछवाड़ा कोयला खदान के चालू होने के कारण राज्य के थर्मल प्लांट रोपड़ और लेहरा मोहब्बत में शून्य आयातित कोयले का उपयोग किया गया. राज्य के अपनी कोयला खदान की मदद से लेहरा मोहब्बत और रोपड़ में बिजली का उत्पादन 19% से ज्यादा बढ़ गया है. दूसरी ओर राजपुरा और तलवंडी साबो में निजी थर्मल प्लांट में आयातित कोयले का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित किया गया.
राज्य सरकार को अपने पनबिजली संयंत्रों से भी बिजली का उत्पादन बढ़ाने में सफलता मिली है. राज्य के पनबिजली संयंत्रों में इस साल 21% अधिक बिजली का उत्पादन हुआ है. भाखरा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानि बीबीएमबी जल विद्युत संयंत्रों से इस साल 14% अधिक उत्पादन हुआ है.
इसके साथ मान सरकार ने बिजली प्रबंधन को बेहतर बनाते हुए अन्य राज्यों के साथ बिजली की 13% अधिक बैंकिंग की है. जिसकी वजह से राज्य सरकार की अल्पावधि और एक्सचेंज से बिजली खरीद में भी 48% की कमी आई है.
पीएसपीसीएल के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले बिजली की बिक्री में 3 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है. अप्रैल से सितंबर 2022 तक 293 करोड़ रुपये की बिजली की बिक्री की गई थी. वहीं अप्रैल से सितंबर 2023 तक 924 करोड़ रुपये की बिजली की बिक्री की गई.
वहीं राज्य सरकार ने बिजली एक्सचेंज पर भी अपनी निर्भरता कम की है. इसकी मदद से पावर कॉरपोरेशन ने भारी मात्रा में राजस्व बचाया है. 2023 के दौरान राज्य में पावर एक्सचेंज से 4.59 रुपये प्रति यूनिट की औसत दर से 1138 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी गई. जबकि 2022 के दौरान जहां एक्सचेंज पर बिजली की दर 5.54 रुपये प्रति यूनिट थी, जिसके लिए राज्य सरकार को 1914 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा था.
सिर्फ बिजली उत्पादन में ही नहीं, बल्कि सरकार ने पारेषण और वितरण के घाटे में भी लगभग 1% की कमी हासिल करने में सफलता प्राप्त की है. 2022-23 के दौरान जहां पीएसईआरसी ने में कोई वृद्धि नहीं की थी, वहीं इस साल 1 जून 2023 से पावर टैरिफ में 8% से अधिक की वृद्धि की गई है.