आलू, प्याज और टमाटर की खुदरा कीमतों में हाल के हफ्तों में काफी बढ़ोतरी हुई है. महंगी होती सब्जियों के चलते आने वाले महीनों में खुदरा खाद्य महंगाई दर बढ़ सकती है. उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार 27 जनवरी को टमाटर की खुदरा कीमतें 30 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जो साल दर साल 50% ज्यादा है. वहीं प्याज और आलू की खुदरा कीमतें भी सालाना आधार पर 20% और 33% बढ़कर 30 रुपए और 20 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है. आलू और टमाटर की मौजूदा कीमतें तीन महीने पहले के स्तर पर ही हैं. पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ज्यादा बारिश के कारण जुलाई में टमाटर की महंगाई दर रिकॉर्ड 202% थी. इसी के चलते कई जगहों पर टमाटर की खुदरा कीमतें 100 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थी.
टमाटर की कीमतों को काबू में लाने के लिए सरकार ने हस्तक्षेप किया और खुदरा दुकानों के माध्यम से 70 रुपए प्रति किलोग्राम पर टमाटर की आपूर्ति की थी. जिससे अगस्त और सितंबर में टमाटर की कीमतें कम हो गई, लेकिन इसमें दोबारा उछाल आ रहा है. एक अधिकारी ने एफई को बताया कि कम प्रभाव के कारण अगले कुछ महीनों में टमाटर और आलू की महंगाई बढ़ने की आशंका है.
प्याज की कीमतों को किया काबू
वर्तमान में प्याज की औसत खुदरा कीमतें 30 रुपए प्रति किलोग्राम हैं, जो तीन महीने पहले की कीमतों से 25% कम है. पिछले महीने सरकार ने घरेलू आपूर्ति में सुधार के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जब कीमतें साल दर साल 74% बढ़ गई थी. सरकार कीमतों को कम करने के लिए कई दुकानों पर 25 रुपए प्रति किलोग्राम पर प्याज बेच रही है. इस बीच, प्याज की खरीफ आवक ने नासिक में व्यापार के केंद्र लासलगांव में मंडी की कीमतों को शनिवार को 1000 रुपए प्रति क्विंटल तक नीचे ला दिया है, जो महीने की शुरुआत में 2000 रुपए प्रति क्विंटल थी.
आपूर्ति में कमी से कीमतों में उतार-चढ़ाव
मजबूत उत्पादन संभावनाओं के कारण आने वाले महीनों में आलू की कीमतों में गिरावट की संभावना है. आलू को छोड़कर, टमाटर और प्याज की आपूर्ति पूरे साल भर होती है. आपूर्ति में कमी की स्थिति में कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. सब्जियों का उत्पादन 2021-22 में 209.14 मीट्रिक टन से बढ़कर 2022-23 में 213.88 मिलियन टन (एमटी) हो गया. फसल वर्ष 2022-23 में आलू का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 7% बढ़कर 60.22 मीट्रिक टन होने का अनुमान है. हालाँकि, टमाटर का उत्पादन 20.69 मीट्रिक टन की तुलना में थोड़ा कम होकर 20.37 मीट्रिक टन होने का अनुमान है.