बेंगलुरु में इस समय जल संकट एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. लोग पानी की किल्लत के कारण पलायन पर मजबूर हो गए हैं. यहां कई लोगों के परिवार के पास खाना पकाने, सफाई और घरेलू कामों के लिए सप्ताह भर में लगभग पांच 20-लीटर (5-गैलन) बाल्टी पानी ही उपलब्ध हो रहा है. यहां लोग नहाने से लेकर शौचालय का उपयोग करने और कपड़े धोने तक, सब कुछ लोग बारी-बारी से कर रहे हैं. यहां व्हाइटफील्ड के पास कई बड़े लेवल के सॉफ्टवेयर कंपनियों के बड़े मुख्यालय की होने के चलते ये लोग आमतौर पर भूजल से प्राप्त पाइप वाले पानी पर निर्भर हैं. लेकिन अब यह सूख रहा है और इसका पानी खराब है.
सिलिकन वैली में जल संकट
इस जल चुनौती का कारण शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि को बताया जा रहा है. बेंगलुरु में पानी की कमी के कारण लोगों को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. शहर के लोगों को इसके लिए कोई बड़ा विकल्प तलाशना होगा. इस बीच यहां से लोगों का पलायन भी शुरू हो चुका है. उद्योग का कहना है कि संकट से उबरने के लिए जल संचयन और भूजल पुनर्भरण की आवश्यकता है. भारत का तकनीकी गढ़ और सिलिकन वैली कहा जाने वाला बेंगलुरु इस समय पानी की बड़ी समस्या से जूझ रहा है. इंफोसिस, विप्रो जैसे आईटी दिग्गजों के साथ-साथ कई बड़े और जाने-माने स्टार्ट-अप वाले शहर से लोगों का पलायन आने वाले समय में भी कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है.
कैसे खत्म हो सकती है समस्या?
यहां शहर के कई हिस्सों में नल सूखे हो गए हैं. यहां के निवासियों का कहना है कि इसका असर घरों में रहने वालों के साथ-साथ आईटी और तकनीकी केंद्रों के संचालन पर भी पड़ रहा है. यहां पहले पूरा दिन पानी आता था, जबकि अब लोगों को मुश्किल से आधे घंटे भी पानी न मिल पा रहा है. शहर का लगभग आधा हिस्सा पानी की कमी से जूझ रहा है. वहीं, मैट्रिमोनी.कॉम के संस्थापक और सीईओ मुरुगावेल जानकीरमन ने संकट को हल करने के लिए अनिवार्य जल संचयन का सुझाव दिया है. मुरुगावेल जानकीरमन ने सुझाव दिया पानी की खपत को कम करने, पुनर्चक्रण और भूजल स्तर को बढ़ाकर इस संकट से निजात पाया जा सकता है.