RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी है. 29 फरवरी के बाद पेटीएम पेमेट्ंस बैंक डिपाजिट जमा नहीं कर पाएगा. पेटीएम पर हुई कार्रवाई का फायदा उसकी प्रतिद्वंदी कंपनियां उठा रही है. PhonePe और Google Pay जैसे प्रतिद्वंद्वी बिना किसी लागत के Paytm खातों को अपने प्लेटफ़ॉर्म पर पोर्ट कर रहे हैं. पेटीएम भी व्हाट्सएप के जरिए अपने यूजर्स को लिंक्ड बैंक अकाउंट बदलने की सलाह दे रहा है जिससे निपटान प्रक्रिया तेज की जा सके. पेटीएम के प्रतिनिधि कुछ व्यापारियों तक पहुंचकर उनकी जमा राशि को दूसरे बैंकों में ट्रांसफर करा रहे हैं शुरू कर दिया है.
RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को 29 फरवरी से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सहित अलग-अलग प्लेटफार्मों और डिजिटल माध्यमों के जरिए सभी भुगतान सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया है. नियामक ने इसे जमा स्वीकार करने और पेमेंट प्रोसेसिंग जैसी बैंकिंग सेवाएं देने से भी रोक दिया है.
अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक PhonePe के एक प्रवक्ता ने खाता स्विच करने वाले व्यापारियों की संख्या में वृद्धि की बात कही है. उनके मुताबिक नए व्यापारियों को शामिल करना और मौजूदा व्यापारियों को सेवा देना एक फील्ड सेल्स प्रतिनिधि का रोज का काम है. व्यापारियों की तरफ से आने वाली क्यूआर (क्यूआर कोड) और स्मार्टस्पीकर की मांग में वृद्धि हो रही है. हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हम उस मांग को पूरा कर रहे हैं
पेटीएम के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर भावेश गुप्ता ने 1 फरवरी को शेयर बाजार विश्लेषकों को बताया कि लगभग 4 करोड़ व्यापारियों को अन्य बैंकों में ट्रांसफर करने की जरूरत होगी. इस प्रक्रिया को पहले ही शुरू किया जा चुका है.
दिल्ली के एक बाजार के दुकानदारों ने कहा कि पेटीएम के प्रतिनिधि उनसे मिलने आए थे. वहां फोटोकॉपी दुकान के मालिक सुशांत ने कहा कि दुकान का सारा पैसा पेटीएम बैंक खाते में मिलता है. आज, कोई आया और कहा कि खाता ब्लॉक कर दिया जाएगा, इसलिए मैंने इसे एसबीआई खाते में ट्रांसफर कर दिया है.
कुछ लोग इस बात को लेकर भी परेशान है कि पेटीएम के प्रतिद्वंदियों का भी उनके जैसा हाल है. लोगों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में खुदरा विक्रेताओं ने ऑनलाइन भुगतान को अपना लिया है. लेकिन वो इसके भविष्य को लेकर परेशान हैं. लगभग 150,000 खुदरा विक्रेताओं और छोटे व्यवसायों का प्रतिनिधित्व करने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि एक सब्जीवाला भी अब डिजिटल भुगतान का आदी हो गया है”.
जानकारी के अभाव को देखते हुए यह कदम ठीक नहीं होगा. उन्होंने कहा कि “बड़ी चिंता यह है कि किस तरह के गैर-अनुपालन की वजह से RBI को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा.” “क्या अब हमें उन बैंकिंग ऐप्स पर निर्भर रहना चाहिए जो UPI और वॉलेट सेवाएं देते हैं? क्या वे इन बड़ी निजी कंपनियों से अधिक विश्वसनीय हैं?” उन्होंने कहा कि CAIT जल्द ही RBI और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर खुदरा विक्रेताओं के लिए अगले कदम पर स्पष्टीकरण मांगेगा.
पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खाताधारक भी परिवार के सदस्यों को जमा राशि भी ट्रांसफर कर रहे हैं. ऑटोरिक्शा चालक और छोटे किराना मालिक इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि आगे क्या काम करेगा. लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि आखिर पेटीएम के साथ क्या हुआ है. जानकारी के अभाव में कई यूजर्स को लगता है कि RBI ने पेटीएम पर कब्जा कर लिया है और उनका पैसा सुरक्षित है.”
रेस्तरां मालिकों को आने वाले समय में नकद भुगतान और अन्य वॉलेट के उपयोग में वृद्धि की उम्मीद है. एक रेस्टोरेंट मालिक ने कहा ने अपना क्यूआर कोड फोनपे में बदलने की बात कही लेकिन स्पीकर के लिए उन्हें 500 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे.
मोबाइल फोन खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि उन्होंने स्पष्टता सामने आने तक पेटीएम से भुगतान स्वीकार करना बंद कर दिया है. मोबाइल की दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति के मुताबिक एक सिंगल स्टोर हर दिन 5-10 लाख रुपये का कारोबार करता है, जिसमें से 70 फीसद UPI और कार्ड से मिलता है. हम इतनी बड़ी रकम जोखिम में नहीं डाल सकते, इसलिए हमने स्पष्टता सामने आने तक पेटीएम कलेक्शन रोक दिया है.