कच्चे माल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और गाड़ी उत्पादन की लागत बढ़ने की वजह से बीते 5 वर्षों के दौरान पैसेंजर गाड़ियों के दाम में 50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. गाड़ियों को ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए बीते 5 वर्षों के दौरान कई जरूरी नियाम बदलाव भी हुए हैं जिस वजह से गाड़ी उत्पादन की लागत बढ़ी है, साथ में एंट्री सेगमेंट से ही गाड़ियों में प्रीमियम फीचर बढ़ गए हैं जिस वजह से भी गाड़ी का औसत दाम पहले के मुकाबले बढ़ गया है. 5 साल पहले यानी वित्तवर्ष 2018-19 के दौरान देश में पैसेंजर कार का औसत दाम 7.65 लाख रुपए हुआ करता था जो मौजूदा वित्तवर्ष 2023-24 के दौरान बढ़कर 11.5 लाख रुपए हो गया है.
मारुति सुजुकी इंडिया में सेल्स एंड मार्केटिंग डिविजन के कार्यकारी अधिकारी शशांक श्रीवास्तव के मुताबिक पिछले साल गाड़ी खरीदने वाले ग्राहकों में 27 फीसद ग्राहक ऐसे थे जिन्होंने गाड़ी का टॉप वेरिएंट चुना था लेकिन इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 43 फीसद हो गया है. अब ग्राहक पहले के मुकाबले ज्यादा फीचर वाली गाड़ियों को खरीद रहे हैं. इसके अलावा अब देश में हर मॉडल की एंट्री सेगमेंट वाली कार AC के साथ आती है, पहले एंट्री सेगमेंट की अधिकतर गाड़ियां गैर AC हुआ करती थी. इस वजह से भी गाड़ियों की कीमत में बढ़ोतरी हुई है.
2023 में वाहनों की थोक बिक्री ने रिकॉर्ड 4.1 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया. पिछले साल रिकॉर्ड बिक्री में सबसे ज्यादा योगदान एसयूवी का था, जिसमें साल-दर-साल 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. पीवी बिक्री में एसयूवी की हिस्सेदारी पिछले साल के 42 प्रतिशत से बढ़कर इस साल 48.7 प्रतिशत हो गई. इसकी तुलना में, हैचबैक की हिस्सेदारी 2022 में 34.8 प्रतिशत से घटकर 2023 में 30 प्रतिशत हो गई, और सेडान की हिस्सेदारी भी 2022 में 11 प्रतिशत से घटकर 9.4 प्रतिशत हो गई.