देश में अलग-अलग योजनाओं के जरिए सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) को बढ़ावा दे रही है. हालांकि उपभोक्ताओं के पास अब भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियां ही हैं. इस साल देश में फोर व्हीलर खरीदने की चाहत रखने वालों में से केवल 5 फीसद ही इलेक्ट्रिक कार खरीद सकते हैं. यह जानकारी एक सर्वे से मिली है जिसमें 319 जिलों के 40,000 लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल हैं. सर्वे के मुताबिक आधे से ज्यादा “मौजूदा या संभावित कार मालिक” 8-10 लाख रुपये में उपलब्ध एक इलेक्ट्रिक कार खरीदने के इच्छुक हैं.
ऑनलाइन कंज्यूमर पल्स एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म, लोकलसर्किल्स (Localcircles) के सर्वे के अनुसार, भारत में कार की बिक्री पिछले साल 4 मिलियन यूनिट को पार कर गई थी. जबकि पिछले साल सिर्फ 72,321 इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया था.
किस शहर में कितनी मांग?
लोकलसर्किल्स ने कहा कि अगर साल 2023 की वार्षिक कार बिक्री इस साल भी बनी रहती है और मौजूदा/संभावित कार मालिकों में से 5 फीसद एक-एक कार खरीदते हैं तो यह इस साल 2,00,000 इलेक्ट्रिक कारों की मांग का संकेत देता है. तीन महीने की अवधि में आयोजित सर्वे में भाग लेने वाले 40,000 लोगों में से 42 फीसद टियर-1 शहरों से, 34 फीसद टियर 2 से और बचे 24 फीसद टियर-3, 4 और ग्रामीण इलाकों से हैं.
EVs में कम दिलचस्पी की क्या है वजह?
सर्वे के अनुसार, जब उनसे इलेक्ट्रिक वाहनों में कम दिलचस्पी की वजह पूछी गई तो लगभग 21 फीसद व्यक्तियों ने अपने एरिया में पर्याप्त इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग स्टेशन नहीं होने की बात कही. जबकि 12 फीसद ने कहा कि उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है. सर्वे में लगभग 7 फीसद ने “बजट में मॉडलों के पर्याप्त विकल्प नहीं” होने का संकेत दिया, जबकि 21 फीसद ने महसूस किया कि ई-कारें अन्य कारों की तुलना में ज्यादा महंगी हैं.
ईवी की मांग की वजह
डेलॉइट द्वारा “2023 ग्लोबल ऑटोमोटिव कंज्यूमर स्टडी” में भारत के बारे में कहा गया है कि ईवी की मांग उपभोक्ता धारणा पर केंद्रित है कि ईंधन की लागत आईसीई कारों की तुलना में काफी कम होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि लोग ड्राइविंग अनुभव के लिए भी इलेक्ट्रिक कार खरीदना चाहते हैं क्योंकि इसमें कोई इंजन ध्वनि नहीं है और बहुत कम एनवीएच (Noise, Vibration और Hardness) है, जो केबिन को बहुत शांत और आरामदायक बनाता है,
छह साल में होगी भरपाई
ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रिक कार को चलाने की लागत पेट्रोल वाली गाड़ियों की तुलना में बहुत कम है, लेकिन खरीद लागत में अंतर की भरपाई करने में औसतन 46 किमी/दिन या छह साल का समय लगेगा. प्लेटफॉर्म के अनुसार, एक औसत यात्री के लिए हर दिन यात्रा की जाने वाली दूरी 46 किमी या सालाना 16,790 किमी से काफी कम होगी.
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