खाद्य तेल उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरसों के बीज की थोक कीमतें 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से नीचे गिरने पर चिंता जताते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने बयान में कहा कि हम अधिकारियों से एमएसपी पर सरसों के बीज की खरीद की सुविधा के लिए प्रमुख मंडी क्षेत्रों में खरीद केंद्र स्थापित करने के लिए (सहकारी) नेफेड को निर्देश देने का आग्रह करते हैं, जिससे बाजार स्थिरता और किसान कल्याण का समर्थन किया जा सके.
उन्होंने कहा कि एमएसपी खासकर सरसों की कटाई के मौजूदा मौसम में बड़ी चिंता बनी हुई है. सरसों के बीज की मौजूदा बाजार कीमतें 5,650 रुपये के एमएसपी से नीचे हैं, जिससे तत्काल सरकारी दखल की जरूरत है. झुनझुनवाला ने कहा कि चालू सत्र के दौरान रकबा 100 लाख हेक्टेयर के शिखर पर पहुंचने के बावजूद कीमतों में गिरावट के कारण सरसों की खेती में स्थिरता का सामना करना पड़ रहा है.उनका कहना है कि पिछली लाभकारी कीमतों और मौजूदा बाजार भाव के बीच असमानता की वजह से किसान सरसों की खेती बढ़ाने के लिए उत्साहित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उठाना कृषि विकास को बनाए रखने और किसानों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है.
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 के रबी सीजन में सरसों की बुआई 100.44 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जो कि 2022-23 की तुलना में 2.47 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. 2022-23 के रबी सीजन में सरसों की खेती 97.97 लाख हेक्टेयर में दर्ज की गई थी. सरसों की बुआई ज्यादा होने और आवक में बढ़ोतरी की वजह से सरसों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन यानी MOPA ने इस साल सरसों का उत्पादन 125 लाख टन होने का अनुमान जताया है. सरसों कारोबारियों के मुताबिक किसानों को पिछले साल फसल की उचित कीमत नहीं मिली थी और इस साल भी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे है.