बढ़ा धोखाधड़ी का खतरा, एक साल में लॉन्‍च हुईं 400 से ज्‍यादा पिरामिड स्‍कीम

स्‍ट्रेट्जी इंडिया की स्‍कैम अलर्ट लिस्‍ट में मिशन ग्रीन इंडिया, जीवन दान, धन वृद्धि और कैप्चा पे जैसी संस्थाएं शामिल हैं

बढ़ा धोखाधड़ी का खतरा, एक साल में लॉन्‍च हुईं 400 से ज्‍यादा पिरामिड स्‍कीम

भारत में 2023 के दौरान 400 से ज्‍यादा नई मल्‍टी-लेवल मार्केटिंग पिरामिड स्‍कीम लॉन्‍च हुई हैं. एक साल में लॉन्‍च होने वाली पिरामिड स्‍कीम की यह पिछले पांच साल में सबसे ज्‍यादा संख्‍या है. पॉलिसी, कम्‍प्‍लायंस और डायरेक्‍ट-सेलिंग कंसल्‍टेंसी फर्म स्‍ट्रेट्जी इंडिया ने यह जानकारी दी है. स्‍ट्रेट्जी इंडिया इंडियन डायरेक्‍ट सेलिंग एसोसिएशन (IDSA) का सहयोगी सदस्‍य भी है.

स्‍ट्रेट्जी इंडिया की स्‍कैम अलर्ट लिस्‍ट में मिशन ग्रीन इंडिया, जीवन दान, धन वृद्धि और कैप्चा पे जैसी संस्थाएं शामिल हैं. स्‍ट्रेट्जी इंडिया के अनुसार, वर्तमान में ऐसी 4,000 से अधिक योजनाएं चल रही हैं. स्‍कैम अलर्ट लिस्‍ट में शामिल संस्थाओं को ट्रैक करना कठिन है, क्योंकि उनकी कोई ऑपरेशनल वेबसाइट या संपर्क पता नहीं है, जिनके जरिये उनतक पहुंचा जा सके.

मनी-सर्कुलेशन नेटवर्क पर आधारित इन स्‍कीमों के संचालक, मौजूदा निवेशकों को नए निवेशकों से जुटाए गए पैसे से भुगतान करते हैं, उनके पास मुनाफा कमाने का कोई जरिया नहीं होता है. मौजूदा उपभोक्‍ता संरक्षण कानून में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर कई लोग कानून की नजर से बच जाते हें. ऐसी संस्‍थाएं कम आय वाले समूहों के निवेशकों को कम समय में ऊंचा रिटर्न की पेशकश करके लुभाती हैं. जब नया निवेश आना बंद हो जाता है, तब इन स्‍कीमों के संचालक अपना काम-धंधा बंद कर देते हैं और सारा पैसा लेकर गायब हो जाते हैं.

स्‍ट्रेट्जी इंडिया के मुख्‍य रणनीतिकार प्रांजल डेनियल का कहना है कि पोंजी और मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) मनी सर्कुलेशन योजनाओं को रोकने के लिए, अस्पष्टता और खामियों को दूर करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण (डायरेक्ट सेलिंग) नियमों को संशोधित किया जाना चाहिए. एक केंद्रीय समिति को सभी मल्‍टी लेवल मार्केटिंग ऑपरेशन का मूल्यांकन और निगरानी करने की आवश्यकता है, जो विदेशी मुद्रा व्यापार, क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी में निवेश के माध्यम से निवेशकों की संपत्ति बढ़ाने के दावों के साथ जटिल मनी सर्कुलेशन स्‍कीम पर अंकुश लगाने के लिए महत्वपूर्ण है.

उपभोक्‍ता मामलों के मंत्रालय ने इस साल 21 जून को एक अधिसूचना के माध्‍यम से उपभोक्‍ता संरक्षण (डायरेक्‍ट सेलिंग) नियम, 2021 को संशोधित किया था, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी वाली पिरामिड और मनी-सर्कुलेशन स्‍कीम तथा वैध, डायरेक्‍ट-सेलिंग मल्‍टी लेवल मार्केटिंग कंपनियों के बीच अंतर किया जा सके. अधिकारियों का कहना है कि नेटवर्क ऑफ सेलर्स की परिभाषा में अभी और स्‍पष्‍टता लाने की आवश्‍यकता है. बदलावों के बीच, मंत्रालय ने स्‍पष्‍ट किया है कि “नेटवर्क ऑफ सेलर्स के माध्‍यम से” को “नेटवर्क ऑफ सेलर्स के माध्‍यम से डायरेक्‍ट सेलिंग” से प्रतिस्‍थापित किया जाए.

एमवे, ओरिफ्लेम, एवोन और हर्बलाइफ का प्रतिनिधित्‍व करने वाली IDSA के चेयरमैन विवेक कटोच ने कहा कि, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को और अधिक स्पष्टता देने की आवश्यकता है, ताकि मल्‍टी-लेवल मार्केटिंग मॉडल के साथ काम करने वाली डायरेक्‍ट सेलिंग कंपनियों और धोखाधड़ी वाले मल्‍टी-लेवल कंपनियां, जो आमतौर पर पिरामिड या पोंजी स्‍कीम के रूप में लोगों को धोखा देने के इरादे से संचालित होती हैं, के बीच अंतर किया जा सके.

Published - December 13, 2023, 03:09 IST