भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इनदिनों इलेक्ट्रिक गाडियों पर फोकस कर रही हैं. यही वजह है कि कार, बैटरी और चार्जिंग इंफ्रांस्ट्रक्चर कंपनियां इस क्षेत्र में विस्तार की योजनाएं बना रही हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ईवी सेक्टर में कर्मचारियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है. लिंक्डइन की ग्लोबल ग्रीन स्किल्स रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भारत में ऑटोमोटिव उद्योग के श्रमिकों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में 40% की वृद्धि देखी गई है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, कनाडा और कई यूरोपीय देशों से ज्यादा है.
इंडस्ट्री से जुड़े जानकार अलग-अलग स्तरों पर ईवी क्षेत्र में रोजगार का अवसर देख रहे हैं. रैंडस्टैड इंडिया के प्रोफेशनल सर्च एंड सिलेक्शन के निदेशक संजय शेट्टी का कहना है कि साल 2030 तक ईवी सेक्टर में 1 करोड़ तक डायरेक्ट नौकरियां जनरेट होंगी. वहीं पांच से साढ़े पांच करोड़ अप्रत्यक्ष नौकरी के अवसर पैदा होंगे. हीरो इलेक्ट्रिक में एवीपी एचआर मनु शर्मा का कहना है कि ईवी उद्योग को बड़े पैमाने पर निर्माण करने के लिए 5 से 10 करोड़ लोगों की जरूरत होगी.
रेवफिन के सीईओ और संस्थापक समीर अग्रवाल का कहना है कि साल 2030 तक इस क्षेत्र में लगभग 2 करोड़ नौकरियां पैदा होंगी, इनमें अनुसंधान और विकास से लेकर विनिर्माण, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, कुशल तकनीकी पदों तक कई भूमिकाएं शामिल होंगी.
अन्य जानकारों का कहना है कि भविष्य में कुशल पेशेवरों और करीब 15-20 लाख कर्मचारियों की मांग बढ़ रही है. हालांकि इस सेक्टर में प्रतिभावान लोगों की कमी है. ईवी उद्योग सॉफ्टवेयर, एआई, कनेक्टेड टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक वाहन विकास और सुरक्षा मानकों के क्षेत्र में पर्याप्त प्रतिभा की कमी से जूझ रहा है.