पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब! ये बात पुरानी हो चली है. अब 2024 में कहा जाने लगा है. इंस्टाग्राम रील्स बनाओ और बन जाओ करोड़ पति. जी हां, आज के दौर में मोबाइल यूजर्स के बीच Youtube शॉर्ट और Instagram रील्स का जबर्दस्त क्रेज है. लोग घंटों रील्स देखकर बिता देते हैं. और वे रील्स में किनको देखते हैं. जवाब है इंफ्लुएंसर्स को. कोई ट्रैवल व्लॉग बना रहा है. कोई दवा के नुस्खे बता रहा है. कोई हंसी मजाक के वीडियो बना रहा है. कोई एक्टिंग कर रहा है. कोई तबला या गिटार बजा रहा है. कोई खाना बना रहा है. कोई खाना चख रहा है. हर कोई यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर कुछ न कुछ अलहदा कर रहा है और व्यूज बटोर रहा है.
लेकिन ये इंफ्लुएंसर्स आपका सिर्फ मनोरंजन ही नहीं कर रहे. बल्कि छप्परफाड़ पैसा भी कूट रहे हैं. आपके व्यूज़, लाइक, सब्सक्राइब से इनकी सीधे प्लेटफॉर्म से कमाई होती है. वहीं कंपनियां भी अपने ब्रांड का प्रचार करने के लिए इनका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. अब ये इंफ्लुएंसर्स ब्रांड एंबेसडर बन रहे हैं. कंपनियों के लिए भी प्रोडक्ट प्रचार का यह सबसे आसान जरिया बन गया है. न तो बॉलीवुड एक्टर्स के नखरे और न उनकी महंगी फीस. इंफ्लुएंसर्स कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा युवा ग्राहकों तक पहुंचने का जरिया बन गए हैं.
आपको यह बात छोटी लगे. लेकिन इंफ्लुएंसर्स का यह बाजार हजारों करोड़ों का हो गया है. सर्विस फर्म अर्न्स्ट एंड यंग की ‘द स्टेट ऑफ इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग इन इंडिया’ रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक देश के करीब 9.3 लाख कंटेंट क्रिएटर्स में से 12 प्रतिशत हर महीने 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच कमाई कर रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में 77 प्रतिशत इंफ्लुएंसर्स की कमाई जोरदार बढ़ी है. वहीं 86 प्रतिशत इंफ्लुएंसर्स को अगले दो वर्षों में अपनी आय में 10 प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ की उम्मीद है.
ईवाई इंडिया के मुताबिक भारत में 4 मिलियन इंफ्लुएंसर्स हैं. इनमें से अधिकांश आने वाले वर्षों में अपने कंटेंट की मदद से कमाई शुरू कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश इंफ्लुएंसर्स को आने वाले 2 साल में 10 प्रतिशत से अधिक की ग्रोथ की उम्मीद है.
दूसरी ओर कंपनियों की बात करें तो ब्रांड इंफ्लुएंसर मार्केटिंग पर मोटा खर्च करने की तैयारी कर रही हैं. जिसके कारण तय है कि आने वाले समय में इंफ्लुएंसर्स की कमाई बढ़ने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक 2026 तक इंफ्लुएंसर्स मार्केटिंग का आकार 2024 में इंफ्लुएंसर्स मार्केटिंग का आकार 2344 करोड़ था. जिसके 2026 तक 3,375 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. बीते कुछ वर्षों में इंफ्लुएंसर्स मार्केटिंग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. 2023 में इसमें 25 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है. 2023 में इंफ्लुएंसर्स मार्केटिंग का आकार 1875 करोड़ और 2022 में 1500 करोड़ रुपए था.
इंफ्लुएंसर्स की कैटेगरी
आइए अब इंफ्लुएंसर्स की कैटेगरी को भी समझ लेते हैं. इंफ्लुएंसर्स या कंटेंट क्रिएटर्स को सोशल मीडिया पर उनके फॉलोअर्स के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है. किसी कंटेंट क्रिएटर को मेगा इन्फ्लुएंसर तब कहा जाता है जब उसके एक मिलियन से अधिक फॉलोअर्स होते हैं. वहीं 1 से 10 लाख फॉलोअर वाला मैक्रो इन्फ्लुएंसर होता है. माइक्रो इन्फ्लुएंसर वे होते हैं जिनके 10,000 से 1 लाख फॉलोअर्स होते हैं. आखिरी नैनो इंफ्लुएंसर्स वे होते हैं जिनके सोशल मीडिया पर 100 से 10,000 फॉलोअर्स हैं. अब कमाई की बात करें तो 1 लाख रुपये से 10 लाख रुपये प्रति माह कमाने वाले. 12 प्रतिशत प्रभावशाली लोगों में मैक्रो और माइक्रो इंफ्लुएंसर्स शामिल हैं.
ऐसा नहीं है कि जिनके फॉलोअर्स कम हैं उनकी कमाई भी कम होती है. 100 ब्रांडों में से 47 प्रतिशत ने कल खर्च को देखते हुए अपने कैम्पेन में. माइक्रो और नैनो इंफ्लुएंसर्स को शामिल किया.
सर्वे में एक और दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है. चीन अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों में जहां इंफ्लुएंसर्स हर महीने इतनी कमाई करने के लिए हर हफ्ते 39 घंटे काम करते हैं. वहीं भारतीय कंटेंट क्रिएटर हफ्ते में सिर्फ 10 घंटे काम करते हैं.
तो फिर आप सोच क्या रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भारत में कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक बेहतरीन दौर है. जहां कंपनियां अपने एडवर्टाइजिंग बजट का बड़ा हिस्सा. इंफ्लुएंसर्स के साथ बांटने की तैयारी कर रही हैं.