सोशल मीडिया पर मौजूद फूहड़ और अश्लील कंटेंट को हटाने के लिए सरकार तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को हिदायत दे रही है. इस सिलसिले में यूट्यूब समेत अन्य प्लेटफॉर्म को नोटिस भी भेजा गया था, लेकिन सरकार यूट्यूब और टेलीग्राम के इस सिलसिले में प्रतिक्रिया से सहमत नहीं है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण और वयस्क यौन शोषण सामग्री तक पहुंच और वितरण पर अंकुश लगाया जाना चाहिए. सरकार इस पर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों से इस तरह की सामग्री को रोकने के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे में अधिक जानकारी मांग रही है.
अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से अश्लील कंटेट पर रोक लगाने के लिए उनकी तरफ से उठाए गए अहम कदमों की डिटेल साझा करने को कहा है. साथ ही पूछा है कि कंपनियों ने ऐसे कौन-से ऑटोमेटिक टूल तैयार किए हैं जो यूजर्स के मेटा डेटा से ऐसे अश्लील कंटेट को अपने आप हटा दें या इसे रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाए.
बता दें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स, यूट्यूब और टेलीग्राम समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 6 अक्टूबर को नोटिस भेजकर चेतावनी जारी की थी. इन सभी प्लेटफॉर्म से चाइल्ड एब्यूसिंग कंटेंट को हटाने को कहा गया था. नोटिस के अनुसार निर्देशों का पालन न किए जाने पर इन प्लेटफॉर्म पर आईटी नियम, 2021 के नियम 3(1)(बी) और नियम 4(4) के तहत कार्रवाई किए जाने की बात कही गई थी. हालांकि इसके जवाब में यूट्यूब और टेलीग्राम ने कहा था कि वे इस मामले में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हैं, यानी वे खुद इस तरह के कंटेट को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते हैं.
मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों से अश्लील और फूहड़ सामग्री पर रोक लगाने के लिए उनकी ओर से उठाए गए प्रमुख कदम की ज्यादा जानकारी मांगी है. अगर अभी भी सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री मिलती है तो सरकार उनसे इसकी मौजूदगी के कारण पूछ सकती है. बता दें सरकार ने अगस्त में इस सिलसिले में एक एडवाइजरी भी जारी की थी.