भारत में 8 फीसद की विकास दर हासिल करने के लिए 2030 तक सृजित नई नौकरियों में से आधे से अधिक की हिस्सेदारी महिलाओं की होनी चाहिए. बार्कलेज के एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है. बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि विकास दर को 6-6.5 फीसद से बढ़ाने के लिए 2022-23 में महिलाओं की भागीदारी को 37 फीसद से बढ़ाकर 43.4 फीसद करना होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लेबर फोर्स में लगभग 10.8 करोड़ अनुमानित वृद्धि में से, लगभग 5.5 करोड़ महिलाओं को आना होगा. इस लिहाज से 2030 में 1.9 पुरुष श्रमिक होंगे, जबकि वर्तमान में यह 2.2 है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि महिला श्रम बल की भागीदारी में वृद्धि के अलावा, श्रमिकों को कृषि से गैर-कृषि गतिविधियों में स्थानांतरित करने की भी आवश्यकता है. लगभग आधी लेबर फोर्स अभी भी कृषि में कार्यरत है, बावजूद इसके कि यह क्षेत्र केवल 15 फीसद उत्पादन उत्पन्न करता है.
अध्ययन में आगे बताया गया कि नई नौकरियाँ पैदा करना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि देश को उत्पादकता बढ़ाने वाली नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है. शोधकर्ताओं ने डेमोग्राफिक डिवडेंड का लाभ उठाने के लिए औपचारिकता के साथ-साथ भारत के लिए स्किल्स पर ध्यान देने को भी कहा है.
उन्होंने कहा कि रोजगार क्षमता बढ़ाने की अभी भी गुंजाइश है, खासकर जब भारत अन्य उद्योगों के अलावा सेमीकंडक्टर, हाइड्रोकार्बन, ईवी बैटरी, रक्षा और जलवायु प्रौद्योगिकी के निर्माण में क्षमताएं बनाना चाहता है.