भारत भले ही कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता हो, लेकिन देश की विकसित रिफाइनिंग क्षमता के बदौलत यह प्रमुख निर्यातक के तौर पर उभरा है. सितंबर में यूरोप को भारत का डीजल निर्यात साल 2023 में अपने उच्चतम स्तर पर दर्ज किया गया है. ऊर्जा कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के आंकड़ों के अनुसार सितंबर में यूरोप को भारत का डीजल निर्यात लगभग 333,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) था, जो अगस्त के निर्यात मात्रा से लगभग 47 फीसद ज्यादा और सालाना आधार पर 57 प्रतिशत अधिक था.
डेटा के अनुसार मौसम और रिफाइनरी रखरखाव के चलते पश्चिम एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) से महाद्वीप को कम आपूर्ति कर पा रहे थे, ऐसे में भारतीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए निर्यात का बेहतर मौका था. भारत के निजी क्षेत्र के प्रमुख रिफाइनर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और नायरा एनर्जी लिमिटेड (एनईएल) ने सितंबर में यूरोप में लगभग सभी डीजल निर्यात में योगदान दिया. जनवरी-अगस्त की अवधि में, यूरोप को भारत का डीजल निर्यात औसतन लगभग 215,000 बीपीडी था.
वोर्टेक्सा में विश्लेषण प्रमुख सेरेना हुआंग का कहना है कि डीजल आर्बिट्रेज के महीनों तक बंद रहने के बाद ये फिर से खुल गया है. शरद ऋतु में रिफाइनरी रखरखाव के दौरान मध्य पूर्व और अमेरिका से आपूर्ति कम हो गई, ऐसे में यूरोप में डीजल की मांग को बढ़ा दिया. आपूर्ति की कमी के कारण पिछले कुछ महीनों में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में डीजल व इसमें मार्जिन को मजबूत किया. व्यापार सूत्रों के अनुसार, यूरोप की तुलना में अपेक्षाकृत कम माल ढुलाई लागत के कारण सितंबर से कुछ महीनों पहले सिंगापुर जैसे एशियाई केंद्रों को डीजल निर्यात करना भारतीय रिफाइनरों के लिए फायदेमंद था.
रिफाइंड तेल के निर्यात में भारत की अहम भूमिका
भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. देश अपनी 85 प्रतिशत से अधिक तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहता है. देश प्रति वर्ष 250 मिलियन टन से अधिक की रिफाइनरी क्षमता के कारण पेट्रोलियम उत्पादों का प्रमुख निर्यातक है. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बाद भारत ने एक बड़े रिफाइनिंग केंद्र के रूप में रियायती रूसी तेल की खरीद में वृद्धि की. अब देश खुद को वैश्विक कच्चे तेल और परिष्कृत उत्पादों की आपूर्ति में एक प्रमुख भूमिका निभाता है.