देश में 86 ताप बिजली संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर तक कोयले भंडार ‘गंभीर’ स्तर पर था. इनमें से छह संयंत्र आयातित ईंधन पर आधारित हैं. केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. किसी बिजली संयंत्र में कोयला भंडार की स्थिति तब गंभीर मानी जाती है, जब उसके पास कोयले का भंडार सामान्य स्तर की तुलना में 25 प्रतिशत से भी कम रह जाता है. सीईए की 18 अक्टूबर 2023 की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में निगरानी वाले 181 ताप बिजली संयंत्रों में से 86 में कोयला भंडार की स्थिति गंभीर हैं. इन 86 में से छह आयातित कोयला आधारित संयंत्र हैं.
सीईए देश में 206 गीगावॉट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता वाले 181 कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों की निगरानी करता है. रिपोर्ट के अनुसार, करीब 149 गीगावाट की कुल क्षमता वाले कोयला खानों से दूर स्थित 148 घरेलू कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के पास कोयला भंडार सामान्य स्तर के 29 प्रतिशत से कम है. इन 148 संयंत्रों के पास 18 अक्टूबर 2023 तक 4.35 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले लगभग 1.27 करोड़ टन कोयला था. वहीं 18 खानों के पास स्थित कोयला आधारित संयंत्रों की स्थिति बेहतर है. इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर की तुलना में 81 प्रतिशत कोयला है.
इन 18 संयंत्रों की कुल बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 40 गीगावाट है. विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर कोयला खानों के पास स्थित संयंत्रों में शुष्क ईंधन स्टॉक की स्थिति गंभीर नहीं होती है. वहीं जो संयंत्र कोयला खानों के पास नहीं हैं, उनके लिए कोयला दूरदराज से पहुंचाना पड़ता है. सीईए की निगरानी के तहत आने वाले 15 आयातित कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार की स्थिति बेहतर थी. इन संयंत्रों के पास सामान्य स्तर से 52 प्रतिशत कोयले का भंडार था. इन 15 आयातित कोयला आधारित संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 17 गीगावाट है.
रिपोर्ट से पता चला कि करीब 206 गीगावाट की कुल क्षमता वाले इन 181 बिजली संयंत्रों के पास 5.43 करोड़ टन के मानक स्तर के मुकाबले 2.04 करोड़ टन (आदर्श स्तर का 38 प्रतिशत) कोयला भंडार था. इन 181 संयंत्रों की दैनिक ईंधन आवश्यकता 28 लाख टन है. इस प्रकार उनके पास 18 अक्टूबर 2023 तक सात दिन से थोड़ा अधिक समय तक चलने वाला कोयला भंडार है.