अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से एक बार फिर अडानी ग्रुप पर निशाना साधा गया है, लेकिन इस बार सीधे अडानी समूह की जगह सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर हमला किया गया है. हिंडनबर्ग ने वीकेंड पर नई रिपोर्ट जारी कर बवाल मचा दिया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई न करने संबंध सेबी चीफ माधबी पुरी बुच से हो सकता है. दरअसल उनके पास समूह से जुड़े ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है. हालांकि हिंडनबर्ग के इस आरापे पर पलटवार करते हुए बुच ने कहा कि सारे दावे निराधार है और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है.
बता दें हिंडनबर्ग रिसर्च ने ट्वीट के जरिए अपनी नई रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि अगोरा एडवाइजरी लिमिटेड इंडिया का 99% स्वामित्व अभी भी सेबी अध्यक्ष के पास है, न कि उनके पति के पास. यह कंपनी वर्तमान में सक्रिय है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी को अडानी समूह से संबंधित निवेश निधियों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें वो निवेश भी शामिल होंगी जिनमें अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने निजी तौर से निवेश किया था. रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी बुच पर और कई सवालिया निशान उठाए. हालांकि बुच ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है.
सेबी चीफ ने दी सफाई
सेबी चीफ बुच ने कहा कि उन पर जिस फंड में निवेश करने का आरोप है यह 2015 में किया गया था. तब वह सिंगापुर की नागरिक थीं. लगभग दो साल पहले उन्होंने सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में ज्वांइन किया था. बुच ने बताया कि फंड में निवेश करने का निर्णय मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा की सलाह के आधार पर किया था. वह उनके पति धवल बुच के बचपन के दोस्त थे और एक अनुभवी निवेशक थे. उन्होंने सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन जैसी दिग्गज फर्मों में काम किया था.