Covid-19 Vaccine: देशभर में सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत हो गई है. देश में 28 फरवरी तक 1.43 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. और कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई में वैक्सीनेशन ही सबसे बड़ा हथियार है. इस चरण के वैक्सीनेशन में सरकार बुजुर्गों और गंभार बीमारी वाले लोगों को प्राथमिकता दे रही है. आज से शुरू हुई इस वैक्सीनेशन ड्राइव में सबसे पहले लाभार्थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे. फिर उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नवीन पटनायक ने भी पहला डोज लगाया. गृह मंत्री अमित शाह को भी पहला डोज लगाया गया है. भारत में आगे वैक्सीनेशन को लेकर क्या हैं प्लान, क्या हैं चुनौतियां, मेदांता हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहान ने इस एक्सक्लूसिव चर्चा में बताया.
राजनीतिक दिग्गजों के वैक्सीन लेने से लोगों में झिझक घटेगी?
जब भी नेतृत्व के लोग ऐसे पहल करते हैं, लोगों में भरोसा बढ़ता है. इससे लोग वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित भी होंगे. कोविड की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन करना होगा, ज्यादा से ज्यादा लोगों में इम्यूनिटी हो ताकि हर्ड इम्यूनिटी हासिल हो सके.
कोरोना के नए वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कितनी कारगर?
वैक्सीन मैन्यूफ्चर्रस के मुताबिक अब तक ये वैक्सीन (Vaccine) यूनाइटेड किंग्डम और अन्य वेरिएंट के खिलाफ कारगर हैं, हालांकि इसे साबित करने या इसका खंडन करने के लिए डाटा नहीं है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका वाले वेरिएंट को लेकर चिंता है, इसपर वैक्सीन कम असरदार है. समय के साथ इसपर नजर रखनी होगी.
3 और वैक्सीन फेज-3 ट्रायल में हैं, आपको क्या उम्मीद है?
ये सभी वैक्सीन को लेकर अच्छी उम्मीदें हैं. पहले दो फेज में सुरक्षा और वैक्सीन के असर की जांच होती है जिसमें इनको लेकर संभावनाएं बढ़ती हैं. फेज-3 में बड़ी संख्या पर इसका ट्रायल किया जाना है ताकि इनपर भरोसा हो सके. इनके ट्रायल भी पूरे होने के करीब हैं. स्पुतनिक V को 1-2 हफ्ते में मंजूरी मिल सकती है क्योंकि इसका डाटा रेगुलेटर्स जांच कर रहे हैं.
क्या महाराष्ट्र और केरल जैसे ज्यादा मामलों वाले इलाकों में वैक्सीनेशन ज्यादा तेजी से होना चाहिए?
सरकार का फोकस ना सिर्फ बुजुर्गों और गंभीर बीमारी वाले लोगों पर है, बल्कि जैसे जैसे ज्यादा वैक्सीन (Vaccine) उपलब्ध होगी, सरकार सभी तक इसे पहुंचाने के लिए काम करेगी. सरकार तेजी से पूरे देश में वैक्सीन पहुंचाना चाहती है. सिरम इंस्टीट्यूट के पास एक महीने में 6 करोड़ डोज बनाने की क्षमता है जबकि भारत बायोटेक एक महीने में 1 करोड़ डोज बना सकती है. जैसे ही नई वैक्सीन को मंजूरी मिलती है उससे वैक्सीन ज्यादा लोगों को उपलब्ध हो पाएगी. सरकार वैक्सीनेशन के लिए प्राइवेट अस्पतालों का इस्तेमाल बढ़ाएगी तो ज्यादा लोगों को वैक्सीन लग पाएगी.
क्या सरकार वैक्सीनेशन के लिए और प्राइवेट अस्पतालों की संख्या बढ़ाएगी?
सरकार की यही तैयारी है. प्राइवेट अस्पतालों का 20,000 टार्गेट अभी हासिल नहीं हुआ है, सरकार चरणबद्ध तरीके से इसपर प्लान ला सकती है, और निजी अस्पताल इस सूची में शामिल हो सकते हैं.
निजी अस्पतालों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण? 250 रुपये का कैप अस्पतालों को मंजूर है?
प्राइवेट अस्पताल क्षमता रखते हैं और ये नैशनल सर्विस है, देशभर में हमें ये जंग जीतना है. सरकार का तय किया कैप वाजिब है. इससे मुनाफा भले ना हो लेकिन घाटा भी नहीं होगा. और कुछ घाटा हो भी जाए तो ये देश की सेवा में योगदान होगा, लेकिन घाटा होगा नहीं. वैक्सीन के लिए सिर्फ 1 मिनट लगता है, इसके लिए 100 रुपये शुल्क कम नहीं है. ये काम पैसों के लिए नहीं है.
भारत अपने वैक्सीनेशन ड्राइव में ट्रैक पर?
जो प्लान है उसपर काम हुआ तो जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन का काम पूरा हो सकता है. हर दिन 30 लाख लोगों को वैक्सीन (Vaccine) लगने से मौजूदा लक्ष्य हासिल होगा लेकिन हम आगे 40-50 लाख प्रति दिन तक पहुंच सकते हैं. फिलहाल हमारी क्षमता 7 करोड़ डोज बनाने की है, अगर और वैक्सीन को मंजूरी मिलती है तो लक्ष्य हासिल कर पाएंगे.
होली के मौके पर क्या कोई नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं?
सरकार भले कोई नया प्रतिबंध लगाए पर लोगों को खुद कोविड के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. लोगों को कम से कम अगले 6 महीने तक नियमों का पूरी तरह पालन करना चाहिए ताकि हम कोरोना से ये लड़ाई जीत सकें.
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