आप दिल्ली सरोजनी मार्केट गए हैं या फिर नोएडा के अट्टा मार्केट या फिर अपने शहर के किसी भी फुटपाथ बाजार की बात कर लीजिए, हर जगह दुकानदार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं. कभी अपने सबसे सस्ते प्रोडक्ट की कीमत की आवाज लगाते हैं तो कभी उसकी पैकिंग ऐसी कर देते हैं कि नए से लगें. कई बार प्रोडक्ट की तारीफ करने वाली नकली भीड़ भी जुटा लेते हैं. उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है, जैसे-तैसे अपना सामना बेचना. ऑनलाइन शॉपिंग या फिर ई-कॉमर्स का बाजार भी कुछ ऐसा ही है. यहां कंपनियां कई तरह की भ्रामक तकनीक अपनाती हैं जिसे डार्क पैटर्न कहते हैं.
अमेजन, मिंत्रा, फ्लिपकार्ट जैसी सभी दिग्गज साइट्स पर डार्क पैटर्न (Dark Pattern) जैसे हथकंडे अपनाने का आरोप लगता रहा है. इन डार्क पैटर्न से उनकी कोशिश ग्राहकों को तरह-तरह से तुरंत प्रोडक्ट बेचने की होती है. और ग्राहक का क्या, वह तो कई बार खुद को ठगा सा महसूस करता है. सरकार भी इन डार्क पैटर्न से निपटने के लिए कई कोशिशें कर चुकी है लेकिन इसका नतीजा शून्य रहा है. हालांकि, अब सरकार तकनीक की मदद से इस डार्क पैटर्न और ई-कॉमर्स कंपनियों की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने की तैयारी में है.
चुनावी दंगल के बाद सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च करने की तैयारी कर ली है. यह मोबाइल ऐप ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर जानबूझ कर अपनाए जा रहे डार्क पैटर्न का पता लगाएगी. अंग्रेजी अखबार इकोनोमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, आगामी सरकार के गठन के बाद शुरुआती 100 दिनों के भीतर सरकार के प्रमुख एजेंडे में यह शामिल है.
आइए, समझते हैं कि यह डार्क पैटर्न क्या है और शॉपिंग के वक्त यह आपको किस प्रकार प्रभावित करता है और धोखे से प्रोडक्ट बेचने का प्रयास करता है. इस उदाहरण से समझ लेते हैं. अक्सर आपने महसूस किया होगा कि जब आप ऑनलाइन खरीदारी करते हैं और आखिर में चेकआउट कर पेमेंट करते हैं तो आपको पता चला है कि आपकी जानकारी के बिना आपके कार्ट में कुछ अतिरिक्त वस्तु जोड़ दी गई है. डार्क पैटर्न का एक और तरीका है जल्दबाजी. कई बार एयरलाइन टिकट बुक करते समय आपको बताया जाता है कि इस कीमत पर केवल 2 सीटें बची हैं या फिर फ्लैश सेल में सिर्फ 5 मोबाइल ही शेष बचे हैं. यहां कोशिश यह होती है कि आप कुछ सोच न सकें और तुरंत पेमेंट कर खरीदारी कर लें. इसके अलावा आपको मेंबरशिप के जाल में भी फंसाया जाता है जहां पहले महीने फ्री मेंबरशिप के लिए भी आपसे क्रेडिट कार्ड की डिटेल ले ली जाती है.
अब जान लेते हैं कि सरकार इन सभी डार्कपैटर्न पर प्रहार कैसे करेगी. इकनॉमिक टाइम्स ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि ये मोबाइल ऐप ई-कॉमर्स साइट पर मौजूद इन डार्क पैटर्न को ट्रैक करेगा और ग्राहकों को इनकी जानकारी देते हुए सचेत करेगा. माना जा रहा है कि इस साल फेस्टिव सीजन से पहले यह ऐप लॉन्च कर दी जाएगी.
अब जान लेते हैं कि आपको क्या करना होगा. इसके सिर्फ आपको ऐप डाउनलोड करना होगा. एक बार मोबाइल में इंस्टॉल होने के बाद जब भी आप किसी ई-कॉमर्स ऐप पर जाएंगे तो यह आपको उस ऐप के डार्क पैटर्न का अलर्ट भेजेगी. इसकी मदद से आप उपभोक्ता मंच पर इन वेबसाइट की शिकायत भी कर सकेंगे.
डार्क पैटर्न का एक और तरीका फेक रिव्यू (Fake Reviews) का भी है. अक्सर लोग प्रोडक्ट की रैंकिंग और रिव्यू के आधार पर प्रोडक्ट चुनते हैं. पाया गया है कि ये रिव्यू झूठे और फर्जी होते हैं. अक्सर ई-कॉमर्स कंपनियां भी बेहतर रिव्यू वाली कंपनियों को बेहतर विजिबिलिटी देती हैं. अब सरकार फर्जी रिव्यू पर भी हथौड़ा चलाने की तैयारी में है.
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिस्क्लेमर देना अनिवार्य होगा. पेड और प्रोमोशनल रिव्यूज़ की पूरी जानकारी देना अनिवार्य होगा. सरकार गाइडलाइंस को अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. नवंबर 2022 में ही सरकार ने फर्जी रिव्यू रोकने के लिए कुछ स्टैंडर्ड बनाए थे जो इंडस्ट्री के लिए स्वैच्छिक थे. हालांकि, बढ़ती शिकायतों को देखते हुए अब सरकार इन्हें अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. यह भी माना जा रहा है कि इस मसले पर इसी साल कोई फैसला हो सकता है. सरकार क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लाने की तैयारी में है. इसके तहत पेड, स्पॉन्सर्ड, वास्तविक समीक्षा के लिए पहचान की जाएगी. इसके अलावा फर्जी या रैंडम रिव्यू को हटाना होगा.