जल्‍द ही किराना दुकानों पर मिलेंगी काम की दवाएं, सरकार कर रही प्‍लानिंग

समिति आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली सर्दी-खांसी, एसिडिटी और जुकाम, बुखार की दवाएं किराने की दुकानों पर उपलब्‍ध कराए जाने पर विचार कर रही है

जल्‍द ही किराना दुकानों पर मिलेंगी काम की दवाएं, सरकार कर रही प्‍लानिंग

अभी तक लोगों को दवाई खरीदने के लिए मेडिकल स्‍टोर जाना पड़ता है, लेकिन अब जल्‍द ही उन्‍हें यह सुविधा किराना दुकानों पर भी मिलने वाली है. दरअसल सरकार की ओर से नियु‍क्‍त एक समिति आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली सर्दी-खांसी, एसिडिटी और जुकाम, बुखार की दवाएं किराने की दुकानों पर उपलब्‍ध कराए जाने पर विचार कर रही है. इसके लिए दवा नीति में बदलाव किया जा सकता है.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी समिति को भारत की ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवा नीति तैयार करने का काम सौंपा गया है. इस सिलसिले में हाल ही में एक बैठक भी आयोति की गई, जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई. सूत्रों का कहना है कि आम लोगों तक दवाईयों की बेहतर पहुंच के लिए इस प्रस्‍ताव को मंजूरी दी जा सकती है. इससे ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को ज्‍यादा फायदा होगा. वर्तमान में अमेरिका जैसे कई ऐसे देश हैं जहां जनरल स्‍टोर यानी किराने की दुकानों में भी आम दवाइयां बेची जाती हैं.

दवाओं की तैयार की गई सूची

रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष की शुरुआत में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने भारत की ओटीसी दवा नीति विकसित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की. समिति ने हाल ही में उन दवाओं की प्रारंभिक सूची पेश की जो किराने की दुकानों पर उपलब्ध हो सकती हैं. इस लिस्‍ट में होने वाले बदलाव पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी. भारत में वर्तमान में प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के अलावा ओटीसी दवाओं की व्यापक सूची का अभाव है.

क्‍या होती है ओटीसी दवाएं?

ओटीसी दवाएं वे हैं जिन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना खरीदा जा सकता है. यह देश के चिकित्सा क्षेत्र में इस तरह की पहली पहल है, जिसका लक्ष्य गैर-पर्ची दवाओं की उपलब्धता को मैनेज करना है. भारत से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ओटीसी दवाएं उपलब्‍ध हैं. इसकी बिक्री और रेगुलेशन के लिए पूरी गाइडलाइन मौजूद है. अभी भारत में प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के लिए एक नियम है, लेकिन उन दवाओं के लिए कोई दिशानिर्देश या सूची नहीं है, जिन्हें जनरल स्‍टोर पर बेचा जाना चाहिए.

Published - April 18, 2024, 01:36 IST