ईंधन की खपत और वाहन उत्सर्जन को कम करने के मकसद सरकार लगतार इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. इसे और अधिक बढ़ावा देने के लिए सरकार देश में ईवी के लिए 6000 किमी का हाईवे बनाने जा रही है. ये हाईवे देश के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले Golden Quadrilateral पर तैयार किया जाएगा. अगले सात वर्षों में ई-मोबिलिटी को अपनाने में तेजी लाने और देश भर में ई-बसों की तैनाती को ध्यान में रखते हुए इसकी योजना बनाई गई है.
ये इलेक्ट्रिक हाइवे ग्रीन एनर्जी सक्षम चार्जिंग प्वाइंट से संचालित होंगे. यह योजना प्रस्तावित विज़न 2030: पीएम सार्वजनिक परिवहन सेवा के हिस्से के रूप में विकसित की जाएगी. सरकार ने 2030 तक 800,000 पुरानी व प्रदूषण फैलाने वाली डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने के लिए हितधारकों के साथ बातचीत शुरू की है. इसमें राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए 200,000 इलेक्ट्रिक बसें, निजी ऑपरेटरों के लिए 550,000 और स्कूलों और कर्मचारी परिवहन के लिए 50,000 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं. नए ई-हाइवे से ज्यादा लोग रोजमर्रा के आने-जाने के लिए इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए प्रेरित होंगे.
पिछले साल इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 83,000 इकाइयों की रही, जो 100,000 के लक्ष्य से कम है. इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का मानना है कि उपभोक्ता देश में ईवी की रेंज और अपर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढांचे को लेकर संशय में हैं. यही वजह है कि वे व्यक्तिगत साधन के रूप में दूसरे वाहनों को चुन रहे हैं.
चार महानगरों को जोड़ेगा ई-हाईवे
Golden Quadrilateral (GQ) देश का सबसे लंबा राजमार्ग नेटवर्क है, जो चार महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई – और उनके साथ कई औद्योगिक, कृषि और सांस्कृतिक केंद्रों को जोड़ता है. इसके लावा श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर में) और कन्याकुमारी (तमिलनाडु में) को जोड़ने वाला उत्तर-दक्षिण गलियारा और सिलचर (असम में) को पोरबंदर (गुजरात में) से जोड़ने वाला पूर्व-पश्चिम कॉरिडोल अतिरिक्त परियोजनाएं हैं. जीक्यू पर ई-राजमार्गों के विकास से रसद लागत को कम करने और साथ ही COP28 दिशानिर्देशों के अनुरूप उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के सरकार के लक्ष्य को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की संभावना है. सरकार का ध्याना सड़कों को इलेक्ट्रिक हाईवे में बदलने पर है ताकि लॉजिस्टिक लागत को काफी हद तक कम किया जा सके. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय निजी कंपनियों को निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) मॉडल पर विद्युतीकृत राजमार्ग देने की योजना बना रहा है. इसका खर्च केंद्र और राज्य मिलकर उठाएंगे.