इथेनॉल पर सरकार को किस बात का डर?

इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के तहत भारत 2025 तक इथेनॉल के साथ पेट्रोल का 20 फीसद मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना चाहता है

इथेनॉल पर सरकार को किस बात का डर?

देश में चीनी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से गन्ने के रस से इथेनॉल तैयार करने पर लगाए गए प्रतिबंध को कोर्ट में चुनौती मिलने की संभावना जताई जा रही है. इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में पहले ही कैविएट (Caveat) फाइल कर दिया है ताकी इस मुद्दे पर कोई भी फैसला सुनाने से पहले कोर्ट एक बार सरकार का पक्ष सुने. दिसंबर की शुरुआत में सरकार ने गन्ने के रस से चीनी उत्पादन पर रोक का फैसला सुनाया था.

बता दें कि कई चीनी मिलों ने केंद्र सरकार के 7 दिसंबर के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए विभिन्न अदालतों का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें मिलों को 2023-24 सीजन में गन्ने के रस से इथनॉल का उत्पादन करने से रोक दिया गया है. हालांकि सरकार ने उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए 1 अक्टूबर 2023 को शुरू हुए 2023-24 विपणन वर्ष में इथेनॉल उत्पादन के लिए 1.7 मिलियन टन चीनी के डायवर्जन की अनुमति दे दी थी.

गौरतलब है कि शुगर सीजन 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के अंत तक उत्तर भारत में चीनी का दाम 40 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था. उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी इस्मा ने कहा है कि इथेनॉल के लिए गन्ने के रस के उपयोग पर अचानक प्रतिबंध से मिलों की क्षमता उपयोग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और बीते तीन साल में ग्रीन ईंधन के लिए प्लांट की स्थापना के लिए उनके 15 हजार करोड़ रुपए के निवेश को लेकर खतरा उत्पन्न हो गया है. इथेनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के तहत भारत 2025 तक इथेनॉल के साथ पेट्रोल का 20 फीसद मिश्रण का लक्ष्य हासिल करना चाहता है.

Published - January 11, 2024, 06:04 IST