भारी उद्योग मंत्रालय ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एफएएमई-II) योजना के मानदंडों के उल्लंघन पर अधिकारियों द्वारा की गई चूक की जांच शुरू की है. इसके चलते सात इलेक्ट्रिक दोपहिया निर्माताओं ने कथित तौर पर एफएएमई-II योजना के मानदंडों का पालन नहीं करते हुए प्रोत्साहन का दावा किया था. मंत्रालय में सचिव कामरान रिज़वी ने बताया कि जांच में सत्यापन तथा परीक्षण एजेंसियों ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) के अधिकारी भी शामिल हैं. जांच पूरी होने में एक महीने का समय लग सकता है.
उन्होंने बताया कि जांच के परिणाम आने के बाद सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी. कार्रवाई कुछ लोगों के खिलाफ भी की जा सकती है और कुछ प्रणालियों को दुरुस्त करने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं. मंत्रालय को शिकायत मिली थी कि 13 कंपनियां एफएएमई-II के तहत मानदंडों का उल्लंघन करके अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बड़े पैमाने पर घटकों का आयात कर रही हैं.
भारी उद्योग मंत्रालय ने इसके बाद एआरएआई और आईसीएटी को इन कंपनियों द्वारा चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम स्थानीयकरण दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं इसकी जांच के आदेश दिए. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि हम खामियां की जांच कर रहे हैं.